भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में एमवीआर के लिए विशेष पुनरीक्षण व्यवस्था लागू

राज्य में एनएच, रेलवे, औद्योगिक कॉरिडोर, आधारभूत संरचना सहित अन्य परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में न्यूनतम मूल्य निर्धारण (एमवीआर) के लिए विशेष पुनरीक्षण की व्यवस्था लागू की गयी है.

By RAKESH RANJAN | June 16, 2025 1:09 AM
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संवाददाता, पटना राज्य में एनएच, रेलवे, औद्योगिक कॉरिडोर, आधारभूत संरचना सहित अन्य परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में न्यूनतम मूल्य निर्धारण (एमवीआर) के लिए विशेष पुनरीक्षण की व्यवस्था लागू की गयी है. इसे लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जिलों के लिये दिशा निर्देश जारी कर दिया है. इसमें स्पष्ट किया गया है कि किसी भी भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले जिला समाहर्ता द्वारा संबंधित क्षेत्र का बाजार मूल्य अद्यतन कराना आवश्यक है. इसके लिए प्रचलित न्यूनतम मूल्य (एमवीआर) का विशेष पुनरीक्षण कराने का निर्देश दिया गया है. वर्तमान में एमवीआर का निर्धारण मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा किया जाता है. राज्य के अनेक क्षेत्रों में यह एमवीआर लंबे समय से अद्यतन नहीं हुआ है. इससे वास्तविक बाजार मूल्य और अधिसूचित मूल्य में अंतर देखा जा रहा है. ऐसी स्थिति में भूमि अधिग्रहण की शुरुआती अधिसूचना में विलंब की संभावना बनी रहती है. इस स्थिति से बचाव और समयबद्ध भू-अर्जन सुनिश्चित करने के लिए यह दिशा निर्देश जारी किया गया है कि जहां एमवीआर अद्यतन नहीं हुआ है और भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना प्रकाशित नहीं हुई है, वहां विशेष पुनरीक्षण के प्रावधान के अंतर्गत कार्रवाई की जाए. बिहार स्टांप (संशोधन) नियमावली, 2013 के उपनियम-7 के तहत इस तरह का प्रावधान किया गया है. इसके तहत औद्योगिक परियोजना, आधारभूत संरचना, आवासीय विकास अथवा अन्य विशेष परिस्थितियों में केंद्रीय मूल्यांकन समिति द्वारा संबंधित क्षेत्र के एमवीआर का विशेष पुनरीक्षण किया जा सकता है. जिलों को निर्देश दिया गया है कि संबंधित परियोजनाओं की अधियाचना प्राप्त होते ही स्थानीय मूल्यांकन समिति के माध्यम से प्रचलित बाजार दर के अनुसार मौजों का श्रेणीवार न्यूनतम मूल्य का प्रस्ताव तैयार किया जायेगा. यह प्रस्ताव केंद्रीय मूल्यांकन समिति को भेजा जायेगा. उसके अनुमोदन के बाद ही अधिसूचना प्रकाशित की जायेगी. प्रस्ताव में कहा गया है कि विशेष ध्यान दिया जाए कि भूमि की सभी श्रेणियों का मूल्य यथासंभव वास्तविक बाजार मूल्य के अनुरूप हो. यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस दिशा में मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की पूर्व सहमति प्राप्त है. इस व्यवस्था से भू-अर्जन की प्रक्रिया सुगम होगी इस व्यवस्था से भू-अर्जन की प्रक्रिया को सुगम, विवादरहित और त्वरित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण सफलता हासिल होगी. इससे परियोजनाओं के लिए समय पर भूमि उपलब्ध कराना संभव हो सकेगा. साथ ही प्रभावित भू-स्वामियों को भी उनकी भूमि का उचित मुआवजा मिल सकेगा. दीपक कुमार, सिंह अपर मुख्य सचिव

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