संवाददाता, पटना राज्य के आधा दर्जन जिलों के करीब 41 ब्लॉक से पत्थर (गिट्टी) खनन इसी साल बड़े पैमाने पर शुरू होने की संभावना है. इसमें गया, नवादा, शेखपुरा, औरंगाबाद, बांका और कैमूर जिले शामिल हैं. इसे लेकर फिलहाल इन जिलों का डीएसआर (डिस्ट्रिक सर्वे रिपोर्ट) बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. यह रिपोर्ट तैयार कर इसे खान एवं भूतत्व विभाग को आगे की कार्रवाई के लिए भेजा जायेगा. सरकार से अनुमति मिलने पर पत्थर का खनन शुरू होगा. इससे निर्माण कार्यों के लिए अन्य राज्यों से पत्थर मंगाने की मात्रा में कमी आयेगी. राज्य सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी होगी. साथ ही कार्य विभागों के निर्माण कार्यों की गति में तेजी आयेगी. सूत्रों के अनुसार राज्य में फिलहाल केवल दो जिले की आठ स्थलों से पत्थर का खनन हो रहा है. इनमें शेखपुरा जिले में सात और गया जिले में एक खनन पट्टा वाले स्थल शामिल हैं. इन स्थलों से निकलने वाले पत्थरों से राज्य के निर्माण कार्यों में अपेक्षित मांग की पूर्ति नहीं हो पा रही है. इस कारण झारखंड सहित अन्य राज्यों से पत्थर मंगवाये जा रहे हैं. सरकारी निर्माण कार्यों में पत्थर की अधिक खपत को देखते हुए सरकार की तरफ से झारखंड में भी पत्थर खनन का पट्टा कार्य विभागों या उसके निगम को प्राप्त करने की संभावनाओं की तलाश के लिए कहा गया है. इसके लिए बिहार स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन को फ्रेमवर्क तैयार करने का निर्देश दिया गया है. डिस्ट्रिक सर्वे रिपोर्ट में क्या होगा शामिल सूत्रों के अनुसार डीएसआर (डिस्ट्रिक सर्वे रिपोर्ट) में यह जिक्र होगा कि किस जिले में किस पहाड़ से पत्थर खनन किया जा सकता है? उसका कम से कम एरिया कितना हो सकता है? खनन से निकलने वाले पत्थर की मात्रा कितनी होगी? उसे निकाल कर मुख्य मार्गों तक पहुंचाने का रूट क्या होगा? इसकी बिक्री से कितना राजस्व सरकार को मिल सकता है? साथ ही पत्थर खनन से पर्यावरण सहित स्थानीय स्तर पर पड़ने वाले प्रभावों का भी अध्ययन किया जायेगा. डीएसआर के तहत ऐतिहासिक, पौराणिक और पर्यावरणीय महत्व के सभी पहाड़ों का विस्तृत डाटाबेस तैयार किया जायेगा. इसके माध्यम से इन विशेष महत्व के पहाड़ों को पूरी तरह से संरक्षित किया जा सकेगा.
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