क्या कहती हैं पिंकी
दुकान में बढ़े निवेश और बिक्री ने पिंकी के परिवार की जिंदगी पूरी तरह बदल दी है. उनके बच्चे अब बेहतर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और घर में खुशी का माहौल है. पिंकी देवी कहती हैं, ‘जीविका ने न सिर्फ मेरे कारोबार को नई दिशा दी है, बल्कि मेरे पूरे परिवार को भी नई पहचान दी है. संघर्ष और मेहनत से हर सपना पूरा किया जा सकता है.’
जीविका क्या है?
ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए बिहार सरकार ने 2006 में जीविका परियोजना की शुरुआत की थी. इसकी शुरुआत बिहार के 5 जिलों मुजफ्फरपुर, नालंदा, मधुबनी, पूर्णिया और गया से हुई थी. इसके बाद 2007 में जीविका का दायरा बढ़कर 6 जिलों मधुबनी, मुजफ्फरपुर, गया, नालंदा, खगड़िया, पूर्णिया के 18 प्रखंडों तक पहुंच गया. साल 2009 में इन जिलों के 24 अतिरिक्त प्रखंडों के साथ-साथ मधेपुरा और सुपौल के 2 प्रखंडों को भी इसमें शामिल किया गया.
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जीविका से एक करोड़ से ज्यादा महिलाओं को हुआ फायदा
जीविका की सफलता को देखते हुए 2013 में इसका विस्तार राज्य के सभी 534 प्रखंडों में कर दिया गया. अब तक 10 लाख 63 हजार स्वयं सहायता समूह का गठन हो चुका है और 1 करोड़ 35 लाख से ज्यादा महिलाएं जीविका से जुड़कर ‘जीविका दीदी’ बन चुकी हैं.
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