समर वेकेशन में बच्चों का बढ़ा स्क्रीन टाइम, कई पैरेंट्स के लिए चुनौती बनती जा रही गर्मी की छुट्टियां

समर वेकेशन पैरेंट्स मोबाइल और रिमोट कंट्रोल छोड़कर उनके साथ बाहर निकलें या उन्हें अपनी कल्पना को उड़ान भरने दें.

By RajeshKumar Ojha | June 8, 2024 6:05 AM
an image

समर वेकेशन इन दिनों जब बच्चों की गर्मी की छुट्टियां चल रही है. ऐसे में कई बच्चों का स्क्रीन टाइम भी बढ़ गया है. इससे परेशानी होने पर उनके पेरेंट्स ऐसी शिकायत लेकर साइकोलॉजिस्ट और नेत्र रोग विशेषज्ञों के पास पहुंच रहे हैं. इन छुट्टियों में बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम आजकल की पैरेंटिंग की सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है. पीयू की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट निधि सिंह कहती हैं, इन दिनों हर कोई अपना ज्यादातर समय स्क्रीन पर बिताता है. बच्चे हो या बड़े सभी के हाथों में बस मोबाइल नजर आता है. बच्चे ये सब आप से ही सीखते हैं. अगर आप भी अपने बच्चों के बढ़ते स्क्रीन टाइम से परेशान हैं, तो इस समर वेकेशन उन्हें विभिन्न तरह के एक्टिविटीज से जोड़ें. बच्चों को उनके हॉबी और दिलचस्प चीजों को एक्सप्लोर करने का मौका दें.

एक्टिव और क्रिएटिव बनाएं बच्चों को
बच्चे क्रिएटिव तभी हो सकते हैं, जब वे मोबाइल फोन से दूर रहेंगे और विभिन्न तरह के एक्टिविटीज से जुड़ेंगे. इसलिए जरूरी है कि पैरेंट्स मोबाइल और रिमोट कंट्रोल छोड़कर उनके साथ बाहर निकलें या उन्हें अपनी कल्पना को उड़ान भरने दें. आज लगभग हर बच्चा टीवी, कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन से चिपका नजर आता है. यहां तक कि खाना-पीना और पढ़ाई भी इन स्क्रीन के आगे ही हो रही है. इससे न केवल बच्चों की शारीरिक सक्रियता कम हो रही है, बल्कि कल्पना की उड़ान भी सीमित हो रही है. ऐसे में अपने बच्चों को एक्टिव और क्रिएटिव बनाना पेरेंट्स के लिए चिंता का कारण बनता जा रहा है. लेकिन फिक्र की जरूरत नहीं, क्रिएटिविटी घर के कोने में ही छिपी है, बस जरूरत सही तरीके से उससे परिचय करवाने की है.

एक्सपर्ट की राय : बच्चों की दिनचर्या में इन एक्टिविटी को करें शामिल
1. योगाभ्यास

बच्चों को आप खेल-खेल में योग करना सिखा सकते हैं. स्वास्थ्य के प्रति उन्हें जागरूक करेगी और दिनभर उनकी ऊर्जा बनी रहेगी. इसमें माता और पिता दोनों ही योगदान दे सकते हैं. वैसे बच्चों को स्वास्थ्य के महत्व क बारे में बताने का यह बेहतर अवसर है.

2. नयी भाषा

यदि आपका बच्चा भाषाओं के ज्ञान में रुचि रखता है, तो ऑफलाइन व ऑनलाइन क्लास के जरिये उन्हें विदेशी भाषाओं से जोड़ा जा सकता है. ऑनलाइन बहुत सारे एप हैं, जो नयी भाषाएं सिखाते हैं. ये एक गेम के रूप में डिजाइन किये गये हैं, ताकि बच्चे सीखने के दौरान गेम का आनंद भी ले सकें.

3. आर्ट-क्राफ्ट से जोड़ें
एक बॉक्स बनाएं, जिसमें पेंट, क्रेयॉन, मार्कर, क्ले, ग्लिटर, ग्लू, पेंट ब्रश, स्टेंसिल, अलग-अलग तरह के पेपर, धागे, ऊन जैसी क्राफ्ट से जुड़ी चीजें रखी हों. आप कलरिंग बुक्स और क्राफ्ट किट्स भी इनमें शामिल कर सकती हैं. यह बॉक्स बच्चों को दें और इसमें रखे सामान और अपनी कल्पना के साथ कुछ नया बनाने को कहें.

4. क्रिएटिव वर्क करायें
अगर आपके बच्चे की दिलचस्पी कुछ क्रिएटिव करने में हैं, तो आप बच्चों को कला और शिल्प में लगाएं. उससे उनकी क्रिएटिविटी को पंख भी लगेंगे. वे कोई पेंटिंग बना सकते हैं या घर पर पर वेस्ट मटेरियल से कुछ क्रिएटिव चीजें बना सकते हैं.

5. पत्र लेखन
हालांकि चिट्ठी लिखना अब सोशल मीडिया के दौर में खत्म हो गया है, लेकिन लेखन कला अगर उन्हें सिखाना चाहते हैं, तो बच्चों को पत्र लिखना सिखाएं. इससे उनका बौद्धिक विकास होगा. भाषा पर पकड़ बनेगी. स्पष्ट सोच विकसित होगी.

6. इंडोर गेम खेलें
इंडोर गेम जैसे चेस, कैरम, लूडो से दिमाग के कई हिस्सों का विकसित होता है. कॉग्निटिव और लॉजिकल थिंकिंग भी बढ़ती है. साथ ही उन्हें घर के काम से जोड़े- बच्चों में आगत डालें की वह अपना काम खुद से करें.  

7. बाहर जाएं
अपने बच्चे को बाहर लेकर जाएं, चाहे वह पार्क हो या कोई और जगह. कैंपिंग, हाइकिंग जैसी एक्टिविटी करें. अपने बच्चों को वह सब दिखाएं, जो उन्होंने पहले कभी न देखा हो और उन्हें अपने अनुभवों का एक जर्नल लिखने को कहें या एक सूची बनाने के लिए कहें. इस जानकारी के आधार पर उन्हें कहानी लिखने या कुछ सृजनात्मक करने का मौका दें.

8. बेकार चीजें जमा करें
खाली बॉक्स, प्लास्टिक के कंटेनर, नट बोल्ट, लकड़ी के छोटे टुकड़े, रस्सी या मोटा धागा, टूटे खिलौने जैसे कई फेंकने योग्य सामान हम सभी के घर में मौजूद होते हैं. इन चीजों को एक निर्धारित जगह या कंटेनर में जमा करें और समय निकालकर अपने बच्चे के साथ मिलकर इन चीजों से कुछ नया बनाने की कोशिश करें.

बच्चों की आंखों में बढ़ी ड्राइनेस की समस्या
इन दिनों बच्चों की आंखों की प्रॉब्लम बढ़ गयी है. कई पैरेंट्स ऐसी शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. जांच करने पर आंखों में सूखापन जैसी समस्या सामने आ रही हैं. मोबाइल स्क्रीन को एकटक देखते रहने से ड्राइनेस की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए इन्हें सुरक्षित रखने के लिए कोशिश करें कि आंखों को बीच-बीच में झपकाते रहें और आराम देते रहें. कोशिश करें कि बच्चे मोबाइल देखना कम करें. समर वेकेशन में उन्हें मोबाइल नहीं बल्कि किसी एक्टिविटी में इंगेज रखें.  
डॉ निम्मी रानी, दृष्टि पुंज नेत्रालय

बच्चों में नहीं पहले खुद में लाएं बदलाव  
लगातार मोबाइल इस्तेमाल से डोपामाइन हार्मोन ज्यादा मात्रा में उत्पन्न होती है, इससे बच्चों में इसका एडिक्शन बढ़ता है. जब इस पर कंट्रोल करने की कोशिश की जाती हैं, तो अभिभावकों और बच्चों के बीच मतभेद शुरू होने लगता है. कॉन्सनट्रेशन में कमी और चिड़चिड़ापन भी बढ़ता है. सबसे पहले अभिभावकों को अपनी आदत बदलनी होगी. बच्चों के सामने टीवी और मोबाइल का इस्तेमाल बहुत कम करें. बच्चों के साथ मिलकर डेली रूटीन सेट करें. मेडिटेशन और योगा कराएं.  – निधि सिंह, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, पीयू 

ये भी पढ़ें…

Vat Savitri Vrat 2024: पति की लंबी आयु के लिए महिलाओं ने की बरगद को पूजा..

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

यहां पटना न्यूज़ (Patna News) , पटना हिंदी समाचार (Patna News in Hindi), ताज़ा पटना समाचार (Latest Patna Samachar), पटना पॉलिटिक्स न्यूज़ (Patna Politics News), पटना एजुकेशन न्यूज़ (Patna Education News), पटना मौसम न्यूज़ (Patna Weather News) और पटना क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर.

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version