पटना : आंबेडकर जयंती पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने आह्वान किया कि लॉकडाउन में आसपास की दलित बस्तियों को गोद लेकर गरीबों की चिंता करें, ताकि कोई गरीब भूखा नहीं रहे. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाये गये सप्तपदी का कठोरता से पालन करने की अपील की. सुशील मोदी ने आंबेडकर को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला.
उन्होंने कहा है कि भाजपा की समर्थन वाली वीपी सिंह की सरकार में बाबा साहेब को भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जबकि कांग्रेस संसद के सेंट्रल हॉल में उनकी एक तस्वीर नहीं लगने दी थी. वहीं, आरजेडी के मुखिया लालू प्रसाद यादव के शासनकाल पर हमला बोलते हुए कहा कि उनके 15 वर्षों के शासनकालन में हुए दर्जनों नरसंहार में दलित मारे गये. जबकि, एनडीए के डेढ़ दशक के शासनकाल में एक भी दलित नरसंहार नहीं होने दिया गया.
अपने सरकारी आवास पर डॉ आंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित करने के बाद भाजपा अनुसूचित जाति मोरचा की ओर से आयोजित कार्यक्रम को प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल के साथ ऑडियो कान्फ्रेन्सिंग के जरिये संबोधित किया. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लॉकडाउन की विस्तारित अवधि में भाजपा कार्यकर्ता अपने आसपास की दलित बस्तियों को गोद लेकर वहां भोजन-राशन की चिंता करें, ताकि कोई गरीब भूखा नहीं रहे. साथ ही, प्रधानमंत्री द्वारा सुझाये गये सात कदमों का कठोरता से पालन कर वैश्विक महामारी कोरोना को परास्त करने में सहयोग करें.
सुशील मोदी ने कहा कि संसद और विधानसभाओं में दलितों को मिला आरक्षण बाबा साहब आंबेडकर और महात्मा गांधी की देन है. यह आरक्षण तब तक जारी रहेगा, जब तक कि दलित अपने बलबूते चुनाव जीतने के काबिल नहीं हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा दलितों के प्रोमोशन में आरक्षण का समर्थन करती है, परंतु दलित आरक्षण में क्रीमी लेयर का कभी पक्षधर नहीं रही है. भाजपा नेतृत्व की केंद्र सरकार ने दलित अत्याचार निवारण अधिनियम में 23 नयी धाराएं जोड़ कर उसे और कठोर बनाया तथा जब सुप्रीम कोर्ट ने कुछ घाराओं को शिथिल किया, तो कानून में संशोधन कर उसे पुनर्स्थापित किया.
कांग्रेस ने दो-दो बार चुनाव में डॉ आंबेडकर की हार को सुनिश्चित की. अंततः बाद में वे बंगाल से लोकसभा में गये. गांधी और पटेल के दबाव में नेहरू को उन्हें संविधान की प्रारूप कमेटी का चैयरमैन और बाद में कानून मंत्री बनाना पड़ा था. भाजपा की समर्थन वाली वीपी सिंह की सरकार में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जबकि कांग्रेस संसद के सेंट्रल हॉल में उनकी एक तस्वीर नहीं लगने दी थी.
बिहार में आरजेडी-कांग्रेस ने दलितों को आरक्षण दिये बिना स्थानीय निकाय का चुनाव करा दिया. लेकिन, जब एनडीए की सरकार बनी, तो उन्हें 17 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. आरजेडी के 15 वर्षों के शासनकाल में दर्जनों नरसंहार में दलित मारे गये, मगर एनडीए के डेढ़ दशक के शासनकाल में एक भी दलित नरसंहार नहीं होने दिया गया है.
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