राजदेव पांडेय ,पटनाविद्यार्थियों को निशुल्क पीएचडी कराने वाला देश में संभवत: इकलौता रिसर्च संस्थान एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज बेशक शिक्षकों की कमी झेल रहा हो, लेकिन इस बार उसने कुछ नये रिसर्च सेंटर खोलने का प्रस्ताव तैयार किया है.
संस्थान ने दिव्यांगजनों की सामाजिक-आर्थिक कठिनाइयों के अध्ययन और उनके नीति निर्माण में मदद के लिए देश में अपनी तरह का पहला रिसर्च सेंटर खोलने का ब्लूप्रिंट तैयार किया है. इस सेंटर का नाम होगा- ‘रिसर्च सेंटर फॉर डिसएबिलिटी एंड री हेबिटेशन स्टडीज’ इसी तरह लोकतांत्रिक संस्थाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने में मदद करने ‘सेंटर फॉर डेमोक्रेटिक गर्वनेंस एंड प्लानिंग’ और समाज में हाशिये पर चल रहे वर्ग को मुख्यधारा में लाने और उनके अध्ययन के लिए ‘सेंटर फॉॅर सोशल एक्सक्लूजन एंड इन्क्लूसिव पॉलिसी’ खोलने हैं. हालांकि, इन प्रस्तावों पर शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाले बोर्ड ऑफ कंट्रोल की मंजूरी मिलनी बाकी है. यह बैठक इसी माह कभी भी हो सकती है. यहां मंजूरी मिलने के बाद इसे कैबिनेट से पास कराया जायेगा. इसी तरह संस्थान के लिए प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्राध्यापकों के 19 नये सृजित नये पदों पर पुराने सृजित कुल 27 पदों में से 18 पदों पर नियुक्ति करने की योजना है. इसके अलावा संस्थान में कुछ नये पदों पर नियुक्तियां प्रस्तावित की जा रही हैं. एएन सिन्हा संस्थान में अंतिम बार नियुक्तियां 2015 में हुई थीं. तब से लेकर आज नियुक्तियां नहीं हो सकी हैं. तब 27 पद सृजित हुए थे. अब इनमें से केवल नौ शिक्षक रह गये हैं. शेष या तो रिटायर हो गये या नौकरी छोड़ कर दूसरे संस्थानों में चले गये. इस संस्थान की विडंबना ही है कि 2010 के बाद से अब तक किसी भी शिक्षक का प्रोमोशन नहीं हुआ है. इस संस्थान में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के छह-छह पदों में से क्रमश: एक-एक और सात पद ही भरे हैं.