भड़काऊ भाषण केस में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय को बड़ी राहत, पटना हाईकोर्ट ने खारिज किया संज्ञान आदेश

Nityanand Rai: भाजपा नेता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को बड़ी राहत मिली है. पटना हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 के एक चुनावी भाषण से जुड़े मामले में उनके खिलाफ अररिया CJM द्वारा जारी संज्ञान आदेश और आरोप पत्र को रद्द कर दिया है. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मामले में कोई आपराधिक आधार नहीं बनता और यह कार्रवाई राजनीतिक द्वेष से प्रेरित प्रतीत होती है.

By Abhinandan Pandey | June 19, 2025 12:48 PM
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Nityanand Rai: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नित्यानंद राय को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. वर्ष 2018 में अररिया के नरपतगंज में दिए गए एक कथित भड़काऊ भाषण के मामले में हाईकोर्ट ने अररिया CJM द्वारा लिए गए संज्ञान आदेश और आरोप पत्र को खारिज कर दिया है.

यह मामला 9 मार्च 2018 को उस समय सामने आया था, जब नित्यानंद राय ने एक चुनावी सभा में विपक्षी उम्मीदवार पर हमला बोलते हुए कथित रूप से कहा था कि “अगर वे जीत गए, तो अररिया आईएसआईएस का अड्डा बन जाएगा.” इस टिप्पणी को सांप्रदायिक बताया गया था और नरपतगंज के अंचलाधिकारी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी.

इन धाराओं में दायर किया गया था आरोप पत्र

पुलिस जांच के बाद राय पर आईपीसी की धारा 153A (धार्मिक आधार पर वैमनस्य फैलाने) और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था. हालांकि, न्यायमूर्ति चंद्रशेखर झा की एकल पीठ ने सुनवाई करते हुए 15 पन्नों के विस्तृत फैसले में साफ कहा कि अभियोजन द्वारा लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया आपराधिक नहीं प्रतीत होते.

नित्यानंद राय के अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कोर्ट में तर्क दिया कि भाषण में न तो किसी धर्म या समुदाय का उल्लेख किया गया, न ही कोई भड़काऊ बात कही गई. उन्होंने इसे राजनीतिक विद्वेष का परिणाम बताया और प्राथमिकी को मनगढ़ंत करार दिया.

सरकारी अधिकारी द्वारा दर्ज कराई गई थी प्राथमिकी

कोर्ट ने माना कि भाषण में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का संदर्भ दिया गया, जो किसी धर्म विशेष का प्रतिनिधित्व नहीं करता. साथ ही, प्राथमिकी किसी प्रभावित व्यक्ति द्वारा नहीं, बल्कि सरकारी अधिकारी द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिससे इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठे.

चुनाव में भाजपा को मिल सकती है बढ़त

इस फैसले से न केवल नित्यानंद राय को कानूनी राहत मिली है, बल्कि बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही भाजपा को भी नैतिक और राजनीतिक बढ़त मिल सकती है. राय, ओबीसी समाज के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं और चुनावी रणनीति में उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है.

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