Bihar Coronavirus: इसे कोविड काल का विशेष असर ही कहा जायेगा कि सरकार को मिड डे मील पर औसत से 30 से 40 फीसदी अधिक पैसा खर्च करना पड़ रहा है. शिक्षा विभाग को इस मद के निर्धारित बजट से करीब ढाइ सौ करोड़ रुपये तक अधिक राशि खर्च करनी पड़ रही है.
सूत्रों के अनुसार स्कूल में कक्षा संचालन के दौरान मिड डे मील पर पैसा कम खर्च होता था. अब जब स्कूल बंद है, तो सरकार को अधिक पैसा देना पड़ रहा है.
दरअसल शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया है कि कक्षा एक से आठ तक के सभी बच्चों को अनिवार्य तौर पर मिड डे मील का पैसा दिया जाये.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार पहले आठ माह में मध्याह्न भोजन पर 700 करोड़ से अधिक पैसा खर्च कर चुकी है. सामान्य तौर पर इस समय तक पांच सौ करोड़ से अधिक राशि खर्च नहीं हो पाती थी.
इस तरह अब उन विद्यार्थियों को भी मिड डे मील का पैसा मिल रहा है, जो नामांकन के बाद स्कूल नहीं आये. फिलहाल पूरे बिहार में शिक्षा विभाग ने नवंबर तक प्रति माह 1.26 करोड़ से अधिक बच्चों को मिड डे मील का पैसा दिया है.
दिसंबर में 94 लाख बच्चों की अभी तक डिमांड आ चुकी है. हालांकि मेधा सॉफ्टवेयर में अब भी अपडेट चल रहा है. लिहाजा नामांकित बच्चों की संख्या कहीं अधिक होती.
उल्लेखनीय है कि कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों को मिड डे मील दिया जाता है. फिलहाल विभाग को अभी तक यह नहीं पता है कि कक्षा एक में नामांकित बच्चों की संख्या कितनी है.
दरअसल नामांकन प्रक्रिया का डाटा अब भी अस्पष्ट है. एमडीएम निदेशक कुमार रामानुज के मुताबिक नये नियम के तहत हम सभी नामांकित बच्चों को मिड डे मील का पैसा दे रहे हैं. अभी तक हम 700 करोड़ से अधिक रुपये बच्चों के खाते में डाल चुके हैं.
Posted by Ashish Jha
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