सुमित्रा देवी के मुताबिक, 2 साल पहले कैंसर की बीमारी के कारण पति की मौत हो गयी थी. घर में कमाने वाला कोई नहीं है. कुछ खेती-बारी है. वह भी पति के बीमारी के समय बंधक रखा हुआ है. घर में 3 बच्चे हैं. जिनके लालन- पालन में काफी कठिनाई हो रही है. इसी कारण बेटी को काम करने बाहर भेज रहे थे, ताकि परिवार चलाने में सहयोग मिले.
इस बात की जानकारी डुमरी थाना के थानेदार अमित कुमार को हुई. श्री कुमार ने तत्काल नाबालिग को मानव तस्करी होने से बचाया. इस दौरान थानेदार अमित कुमार ने सुमित्रा के परिजनों से कहा कि नाबालिग को किसी अनजान शहर में काम करने के लिए भेजना न्याय संगत नहीं है. अनजान जगह पर उसके साथ क्या बर्ताव किया जायेगा. ये शायद आप नहीं समझ पा रहे हैं. आप उसे कहीं मत भेजिए. हम सब मिलकर आप लोग के लिए रोजगार का उपाय ढूढ़ेंगे. साथ ही विधवा पेंशन व राशन कार्ड बनवाने की बात कही.
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बच्ची ने कहा- मैं पढ़ना चाहती हूं
मानव तस्कर के चंगुल में फंसने से बची बेटी ने कहा कि पढ़ाई करना चाहती हूं. इसपर थाना प्रभारी ने विद्यालय खुलने पर पढ़ाई के लिए बच्ची को कस्तूरबा विद्यालय में नामांकन करा देने का आश्वासन दिये.
थानेदार व मुखिया ने की पहल
2 दिन पूर्व डुमरी थाना परिसर में महिला सशक्तीकरण, महिला उत्पीड़न एवं मानव तस्करी को लेकर महिलाओं के साथ बैठक हुई थी. जिसमें सभी पंचायत के मुखिया सहित विभिन्न महिला मंडल की महिलाएं उपस्थित थीं. मुखिया रेखा मिंज ने थानेदार की बात से प्रभावित होकर कांजी गांव में एक परिवार की संकट स्थिति की जानकारी दी. साथ ही कहा कि थानेदार के साथ मुखिया ने भी नाबालिग को पलायन से रोककर उसकी जिंदगी तबाह होने से बचाने का सराहनीय कार्य किया है.
Posted By : Samir Ranjan.