गुमला. अगर आप लातेहार जिले का लोध फॉल देखें हैं और यहां की सुंदरता के आप मुरीद बन गये हैं, तो आपके लिए एक और खुशखबरी है. गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखंड के जंगलों के बीच लोध फॉल की तरह ही पेरवाघाघ है. अगर आप एक बार पेरवाघाघ जायेंगे, तो इसकी सुंदरता व प्राकृतिक बनावट देख कर मन को शांति व आनंद मिलेगा. पेरवाघाघ जरूर लोध फॉल की ऊंचाई से कम है. लेकिन पेरवाघाघ के पहाड़ से जिस प्रकार पानी ऊंचाई से गिरता है, वह दिल को छू लेता है. पेरवाघाघ की खोज ग्रामीणों की सूचना के बाद गुमला प्रशासन ने किया है और इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का प्लान बनाया है. पेरवाघाघ में पर्यटकों के उतरने के लिए सीढ़ी, बैठने के लिए सीमेंट की कुर्सी, आराम करने के लिए शेड, शौचालय व पीने के पानी की व्यवस्था की जायेगी. इसके लिए जिला पर्यटन विभाग गुमला ने पहल शुरू कर दी है और पेरवाघाघ के विकास के लिए पूरा प्लान बना कर तैयार कर लिया है. बहुत जल्द यह स्थल पर्यटकों से गुलजार होगा और आनेवाले समय में इसे प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा.
घाघरा पंचायत में पड़ता है पेरवाघाघ
बिशुनपुर प्रखंड का कसमार इलाका किसी से छिपा हुआ जगह नहीं है. आज से 10 साल पहले तक यह घोर नक्सल इलाका था. बनालात के बाद घाघरा पंचायत के इलाके में घुसते हथियार टांगे भाकपा माओवादी के लोग दिख जाते थे. परंतु पुलिस की दबिश के बाद अब इस क्षेत्र से नक्सलियों का सफाया हो गया है. हालांकि लातेहार व लोहरदगा के कुछ नक्सली छिपने के इरादे से कसमार क्षेत्र के जंगल व पहाड़ी इलाका में घुसते हैं. परंतु इस क्षेत्र में पुलिस के लगातार ऑपरेशन के कारण पुन: नक्सलियों का भागना पड़ता है. इस घाघरा पंचायत के जंगलों के बीच पेरवाघाघ है. पेरवाघाघ के ऊपर पहाड़ में हपाद गांव भी है. बताया जाता है कि हपाद गांव काफी ऊंचे पहाड़ पर बसा है और उसी पहाड़ से झरना की तरह पानी हर समय गिरते रहता है. बरसात में इसकी खूबसूरती देखने लायक है. ऐसे, किसी भी समय में यहां जाने से पेरवाघाघ की सुंदरता को देखा जा सकता है.
पेरवाघाघ तक जाने के लिए है सड़क
प्रशासन के अनुसार पेरवाघाघ का रास्ता बिशुनपुर से बनारी होते हुए बनालात से होकर जाना पड़ता है. बनालात के बाद घाघरा गांव में घुसने के बाद जंगलों के बीच पेरवाघाघ दूर से ही दिखता है. बिशुनपुर से इसकी दूरी करीब 25 से 30 किमी है. अगर आप गुमला से जा रहे हैं, तो पेरवाघाघ करीब 75 से 80 किमी की दूरी पर पड़ेगा. ऐसे पेरवाघाघ के आसपास के जंगल व पहाड़ों की बनावट काफी खूबसूरत है. घूमने-फिरने व पर्यटन दृष्टि से यह काफी सुंदर जगह है. ऐसे नक्सल के कारण यह स्थल लंबे समय तक छिपा रहा. परंतु नक्सलवाद खत्म होते अब पेरवाघाघ उभर कर सामने आया है, जो पर्यटकों के लिए शुभ संकेत है.
जिला पर्यटन पदाधिकारी ने कहा
जिला पर्यटन पदाधिकारी, गुमला मनोज कुमार ने कहा कि बिशुनपुर प्रखंड के पेरवाघाघ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है. पहले फेज में यहां सीढ़ी बनायी जायेगी, ताकि पर्यटक नजदीक से पेरवाघाघ में गिरते पानी को देख सके. पर्यटकों के लिए यहां कई प्रकार की सुविधा दी जायेगी. पेरवाघाघ पर्यटन स्थल बनेगा, तो आसपास के आधा दर्जन गांवों को रोजगार मिलेगा.
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