जमशेदपुर, ब्रजेश सिंह : पूर्वी सिंहभूम को औद्योगिक लिहाज से अग्रणी जिला माना जाता है, लेकिन हाल के दिनों में बिजली दर में वृद्धि के कारण पूर्वी सिंहभूम के कई मिनी स्टील और इंगोट प्लांट बंद हो चुके हैं. साथ ही, लॉजिस्टिक खर्च की वजह से भी प्लांट बंद हुए हैं. बीते तीन वर्षों में चाकुलिया और धालभूमगढ़ में सात स्टील प्लांट बंद हुए हैं. उद्यमियों के अनुसार, झारखंड सरकार से उन्हें सब्सिडी नहीं मिली, जबकि बिजली की दर लगातार बढ़ती गयी. कई उद्यमी तो ऐसे हैं, जिन लोगों ने उद्योग के लिए जमीन खरीदी, लेकिन बिजली की दर बढ़ जाने से उनके समक्ष प्लांट बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. इंडक्शन फर्नेस के अलावा मिनी स्टील प्लांट और इंगोट बनाने वाली कंपनियां बंद हुई हैं. जमीन सस्ती होने की वजह से उद्यमियों ने चाकुलिया और धालभूमगढ़ में प्लांट लगाया, लेकिन अब उन्हें प्लांट बंद करना पड़ रहा है. कई ने जमीन खरीदी, लेकिन प्लांट नहीं लगाया. पश्चिम बंगाल नजदीक होने से माल ढुलाई में आसानी होने की वजह से भी यहां प्लांट लगाया, लेकिन एक के बाद एक प्लांट बंद हो गये. प्लांट बंद होने से करीब 10 हजार लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बेरोजगार हो गये हैं. उद्यमियों के अनुसार, 25 से 30 लाख रुपये का नुकसान उन्हें होने लगा था, जिस कारण यह फैसला लेना पड़ा. उद्यमी डीवीसी की बिजली दर की डिमांड कर रहे हैं, क्योंकि उसकी दर 4.20 रुपये प्रति यूनिट है, जबकि झारखंड राज्य विद्युत निगम लिमिटेड की बिजली की दर 6.20 रुपये प्रति यूनिट है.
हम लोगों ने इंइंडस्ट्री सेक्रेटरी और ऊर्जा सचिव से मुलाकात की. समस्या को रखा है कि उद्यमी पलायन कर रहे हैं. बिजली के टैरिफ को या तो कम किया जाये या फिर डीवीसी जैसा ऑप्शन दिया जाये. डीवीसी सस्ती बिजली दे रही है, जबकि जेबीवीएनएल महंगा बिजली दे रही है.
विजय आनंद मूनका, अध्यक्ष, सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स
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