झारखंड के स्वास्थ्य सचिव अजय कुमार सिंह पहुंचे एमजीएम अस्पताल, अव्यवस्था देख बिफरे, अधीक्षक को लगायी फटकार

जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में अव्यवस्था देख स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह बिफर गए. उन्होंने अधीक्षक से कहा कि सस्पेंड कर दें तो अधीक्षक ने कहा कि उन्हें हटा दिया जाए. इमरजेंसी में मरीजों को जमीन पर लेटा देखकर उन्होंने अधीक्षक को फटकार लगायी.

By Guru Swarup Mishra | August 6, 2024 10:41 PM
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जमशेदपुर: झारखंड के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह मंगलवार की दोपहर अचानक एमजीएम अस्पताल पहुंच गये. उन्होंने निरीक्षण के दौरान जो देखा उससे चकित रह गये. उन्होंने सबसे पहले अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड का निरीक्षण किया. वहां कई मरीजों को जमीन पर लेटा कर इलाज किया जा रहा था. इमरजेंसी में बने ओटी का बुरा हाल है. दीवार में लगी एसी खराब है, जगह-जगह टूट कर प्लास्टर गिर रहा है. इमरजेंसी में भीड़ देखकर कहा कि यहां मरीज ठीक होने की जगह और बीमार हो जायेंगे. उन्होंने निरीक्षण के दौरान इमरजेंसी में बंद पड़े सभी रूम को खुलवाया. उसमें देखा कि कबाड़ भरा हुआ है. उन्होंने कहा कि रूम में कबाड़ भरा हुआ है और मरीजों का जमीन पर लेटा कर इलाज किया जा रहा है. उन्होंने सभी रूम को खाली कराकर उसको वार्ड बनाकर मरीजों को रखने का निर्देश दिया. वहीं रूम में कई महंगे उपकरण जंग खाते मिले. इसपर सचिव ने कहा कि जब उपयोग ही नहीं करना था तो फिर खरीदे क्यों, इसके बाद सचिव आइसीयू पहुंचे. आइसीयू इंचार्ज को खोजने लगे लेकिन वे नहीं मिले. यहां की स्थिति देखकर अधीक्षक डॉक्टर रवींद्र कुमार और उपाधीक्षक डॉक्टर नकुल चौधरी पर भड़क गये. उन्होंने कहा-क्या करें आप दोनों को, सस्पेंड कर दें, इस पर अधीक्षक विनम्रता पूर्वक कहा -सर मुझे यहां से हटा दीजिए. उनकी बात सुनकर हर कोई चकित रह गया.

कई वार्डों का किया निरीक्षण

झारखंड के स्वास्थ्य सचिव ने एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक को बुलाकर पूछा कि कितने सालों से आप यहां है. उपाधीक्षक ने कहा एमजीएम के अलावा सरायकेला सदर अस्पताल के उपाधीक्षक पद पर भी कार्यरत हूं. इसे सुनकर सचिव ने कहा यह कैसे हो गया. उन्होंने तत्काल संयुक्त सचिव को फोन लगाया और इस मामले को देखने का निर्देश दिया. जल्द ही दोनों के खिलाफ हटाया जा सकता है. इसके बाद उन्होंने इमरजेंसी, एक्सरे, आयुष्मान, आइसीयू, डायलिसिस सेंटर, गायनिक वार्ड, बर्न वार्ड, बच्चा वार्ड सहित अन्य विभागों का किया निरीक्षण किया. इस दौरान कई प्रकार की कमी पायी. उन्होंने अधीक्षक, उपाधीक्षक व सभी विभाग के एचओडी को कहा कि अपने-अपने विभाग में जो कमी है उसको एक सप्ताह के अंदर दूर करे नहीं तो कार्रवाई की जायेगी. इस दौरान सिविल सर्जन डॉक्टर जुझार माझी सहित अन्य चिकित्सक उपस्थित थे.

जितना जरूरत हो उतनी ही करें खरीदारी

प्रधान सचिव स्टोर में पहुंचकर उसका निरीक्षण किया. स्टोर में पूछा, कोई एक्सपायरी दवा तो नहीं है. खराब उपकरण देखकर बोले उसकी नीलामी क्यों नहीं कर रहे है इसपर अधीक्षक ने कहा टेंडर निकाला गया है. इसके बाद वे बरामदे में गये ग्लब्स का कार्टून देखा तो यह क्या है. उनको बताया गया कि ग्लब्स रखा गया है. सचिव ने कहा एक साथ इतना ग्लब्स खरीदने का क्या मतलब है. जितनी खपत हो उतनी ही खरीदारी करें.

शिशु इमरजेंसी वार्ड के पास पहुंचते ही हुए नाराज

प्रधान सचिव शिशु इमरजेंसी के पहुंचे तो देखा कि वहां पानी जमा है जिसको देखते ही नाराज होते हुए बोले कि यह वार्ड में जाने का रास्ता है. उसके बाद वे जीपी बिल्डिंग पहुंचे. वहां एक कमरे में शिशु रोग ओपीडी संचालित हो रहा है. जबकि बाकी कमरे में ताला बंद है. सचिव ने सभी बंद रूम को खोलकर दिखाने के लिए कहा गया. उन्होंने बंद कमरे को खोलकर उसका उपयोग करने को कहा गया. इमरजेंसी के मरीजों को यहां शिफ्ट करने को भी कहा गया. इसके बाद वे एनआइसीयू-पीआइसीयू देखा वहां महिलाएं फर्श पर बैठकर स्तनपान करा रही थी. इसे देख सचिव ने कहा क्या हाल बना रखी है स्तनपान कक्ष नहीं है, वहीं बगल में एक वार्ड पूरी तरह खाली है. इसे देखकर सचिव ने कहा जगह आपके पास पर्याप्त है. इसका उपयोग सही ढंग से करने की जरूरत है. पीजी बिल्डिंग के कई रूम के चाभी तक नहीं मिली जिससे खोलकर दिखाया जा सकें.

एमजीएम की स्थिति काफी खराब, इसमें बहुत सुधार की जरूरत


प्रधान सचिव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि एमजीएम अस्पताल की स्थिति काफी खराब है. उसमें काफी सुधार करने की जरूरत है जबकि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी नहीं है. इसकी सही से निगरानी करने की जरूरत है. यहां कई रूम खाली है लेकिन उसका सही से उपयोग तक नहीं हो रहा है. वहीं मरीजों को जमीन पर लेटाकर इलाज किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से अस्पताल के रखरखाव, मरम्मत सहित अन्य चीजों के लिए पांच करोड़ रूपया दिया जा रहा है. जो सभी विभागाध्यक्ष को दिया जायेगा. उसके बाद भी अगर सुधार नहीं होता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.

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