टाटा लीज एरिया में अब हो सकेगी जमीन की रजिस्ट्री, 59 सबलीज के मामले में झारखंड हाईकोर्ट का फैसला
जमशेदपुर में लीज जमीन के आवंटन के लिए गठित एप्रोप्रिएट मिशनरी कमेटी (एएमसी) के द्वारा शहर के 59 सबलीज के मामले में झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की अदालत ने यह फैसला सुनाया है. पूर्व में 21 अगस्त 2023 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
By Prabhat Khabar News Desk | October 14, 2023 11:43 AM
जमशेदपुर, कुमार आनंद : जमशेदपुर टाटा लीज एरिया में अब जमीन की रजिस्ट्री शुरू हो सकेगी. जमशेदपुर में लीज जमीन के आवंटन के लिए गठित एप्रोप्रिएट मिशनरी कमेटी (एएमसी) के द्वारा शहर के 59 सबलीज के मामले में झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की अदालत ने यह फैसला सुनाया है. पूर्व में 21 अगस्त 2023 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार ने पक्ष रखा. मामले में प्रतिवादी टाटा स्टील की अोर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा व अधिवक्ता पूजा अग्रवाल ने पैरवी की. आशियाना हाउस लिमिटेड और पारिख इन प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने यह आदेश जारी किया है.
यह मामला पिछले 11 वर्षों से कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाओं को एक साथ जोड़कर संबंधित आदेश दिया गया है. इस मामले में हुए फैसले में हाइकोर्ट में 12 अलग-अलग बिंदुओं पर विश्लेषण करते हुए डीसी की ओर से 59 सबलीज के मामले में वर्ष 2012 में जारी किये गये स्टेटस-को आदेश को रद्द कर दिया है. साथ ही इस पूरे मामले में राज्य सरकार की भूमिका को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले को दोबारा कैबिनेट के समक्ष पेश करने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने अपने आदेश में लीज जारी करने के मामले में एप्रोप्रिएट मिशनरी कमेटी(एएमसी) को सक्षम प्राधिकार माना है. टाटा स्टील कंपनी को डायरेक्शन देते हुए स्पष्ट आदेश दिया है कि वह 59 सबलीज की रजिस्ट्री कराये. सबलीज से होने वाले राजस्व से राज्य सरकार को होने वाले नुकसान की दलील को भी कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है.
कोर्ट ने कहा है कि टाटा स्टील शहर का विकास,औद्योगिक डेपलवपमेंट करने के साथ-साथ लोगों को रोजगार का अवसर उपलब्ध कराने के लिए सबलीज का निर्णय ले सकती है. इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने झारखंड सरकार, कोल्हान के प्रमंडलीय आयुक्त, पूर्वी सिंहभूम के डीसी, टाटा स्टील और जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति को प्रतिवादी बनाया था. मामले की सुनवाई के दौरान प्रशासन की ओर से बताया गया था कि यह मामला वर्ष 2015 से राज्य सरकार के स्तर पर विचाराधीन है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को भी अपना पक्ष रखने का अवसर दिया. राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मामला विचाराधीन है. सरकार की तरफ से हाइकोर्ट में अधिवक्ता ने इस मामले में कई बार अतिरिक्त समय की मांग की. वहीं हाइकोर्ट ने सरकार का पक्ष सुनने के लिए अगस्त 2023 में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसके बाद भी राज्य सरकार की तरफ से इस मामले में कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर हाइकोर्ट ने पूरे मामले में अपना स्पष्ट आदेश जारी कर दिया है.