मकर के अवसर पर गुड़ पीठा, मांस पीठा, डिंबू पीठा व ऊंदी पीठा 4 तरह का पीठा बनाया जाता है, लेकिन इन दिनाें अधिकांश गुड़ पीठा व मांस पीठा ही बना रहे हैं. ईचागढ़ की विधायक सविता महताे ने उलियान स्थित आवास पर गुड़ पीठा तैयार किया. सविता महताे के साथ गुड़ पीठा बनाने में स्नेहा महताे, सुजया महताे, शिल्पी महताे, श्रुति महताे, शिफाली महताे, मिनाेती महताे, राजीव कुमार महताे काबलू, हिमांशु महताे, विनय महताे, संजय महताे ने मदद की.
विधायक सविता महताे ने बताया कि गुरुवार की सुबह स्नान-दान के बाद नये वस्त्र पहन कर घर-परिवार के लाेग मकर मनायेंगे. बड़े-बुजुर्गाें काे आशीर्वाद लेंगे और गुड़ पीठा खायेंगे. उनके पति स्वर्गीय सुधीर महताे हर साल गुरुजी शिबू साेरेन के लिए गुड़ पीठा बनावा कर उन्हें प्रसाद स्वरूप ले जाकर पहुंचाते थे. इस परंपरा काे वे भी निभा रही हैं. गुड़ पीठा मिलने पर माता रूपी साेरेन यह जरूर कहती हैं कि मेरे मायके से मकर की मिठाई आ गयी है.
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काेल्हान के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में मकर व टुसू पर्व से संबंधित गीतों की धुन बजनी शुरू हाे गयी है. ‘असलो मकर खाबो गुड़ पीठा, गुड़ पीठा तोर बोड़ो मीठा’ की धुन लाेग बजा रहे हैं. काेराेना के कारण भले ही सार्वजनिक रूप से मेला नहीं लगेगा, लेकिन गांव में भीड़ का जुटान और मुर्गा पाड़ा लगना चय है. मकर ऐसा त्योहार है, जिसे सभी समुदाय के लोग अलग-अलग नाम से पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं.
बुधवार काे भी बाजार में खरीदारी करनेवाले लोगों की भीड़ उमड़ी रही. विशेष कर गुड़-तेल, कपड़े व सौंदर्य प्रसाधन की दुकानों पर काफी भीड़ रही. गांवों में मकर संक्रांति से एक माह पूर्व से ही टुसू पर्व की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. लगभग एक माह पूर्व पौष माह से ही टुसूमनी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा शुरू हो जाती है. इस दौरान टुसू व चौड़ल (एक पारंपरिक मंडप) सजाने का काम भी होता है. इसे सिर्फ कुंवारी लड़कियां ही सजाती हैं. इस दाैरान वे टुसू के गीत भी गाती हैं.
Posted By : Samir Ranjan.