देश को सामरिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए जरूरी यूरेनियम खनिज पूर्वी सिंहभूम जिले के जादूगोड़ा और आसपास के एरिया में पाया जाता है. यहां यूरेनियम के करीब 7 खदान हैं, जो पूरे देश को सशक्त करते हैं. जमशेदपुर से करीब 20 किमी दूर पोटका के कुंदरूकोचा में सोने का भंडार है, तो करीब 30 किमी दूरी पर जादूगोड़ा में यूरेनियम की खदान है. इसका खनन यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड सालों से करती आ रही है. इसी तरह घाटशिला अनुमंडल में तांबा और पन्ना मौजूद है. जिले के धालभूमगढ़, गालूडीह, बोड़ाम में बड़े पैमाने पर मैगनीज का भी खनिज मौजूद है, जो देश की जरूरतों को पूरा करता है. इसके अलावा पैरॉक्सनाइट का भी भंडार यहां पाया जाता है, जो देश में स्टील का बेस्ट विकल्प माना जाता है. बहरागोड़ा में ज्योति पहाड़ी में बड़े पैमाने पर काइनाइट भी उपलब्ध है. इसका इस्तेमाल ज्वेलरी उत्पाद को तैयार करने में किया जाता है. इसका इंडस्ट्रियल इस्तेमाल होता है, जो मोल्टिंग में काम आता है. पूर्वी सिंहभूम में गुड़ाबांधा के थुरकुगोड़ा, बारुणमुठी, बाहुटिया क्षेत्र में पन्ना का बड़ा भंडार है. पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला को ताम्रनगरी कहा जाता है. अभी दो खदानों से तांबा निकाला जा रहा है. जिले में सोप स्टोन की भी मात्रा पायी जाती है, जिसके जरिये मैसोर सैंडल जैसे कई साबुन तैयार किये जाते हैं. सिलिका और क्वार्टज की उपलब्धता इस जिले में है. एस्बेस्टस भी यहां पाया जाता है. जिले में क्वार्टज, क्वार्टजाइट जैसे खनिज भी पाये जाते हैं.
पश्चिम सिंहभूम जिला को लाल मिट्टी के लिए जाना जाता है
हाथियों का अभ्यारण्य है यहां, एशिया का एमेजॉन कहा जाता है सारंडा
कोल्हान में प्रकृति ने भरपूर प्यार लुटाया है. यहां एशिया का एमेजॉन कहे जाने वाला सारंडा की पहचान होती है. साल के बड़े पेड़ों के लिए इस जंगल को जाना जाता है. करीब 700 छोटी और बड़ी पहाड़ियों से घिरे इस जंगल को समृद्ध बनाया जाता है. सारंडा वन लगभग 850 वर्ग किलोमीटर में फैला सघन वन है. खामोशी में डूबे इस जंगल में हरियाली और खूबसूरती का बेजोड़ मेल देखने को मिलता है. सारंडा का कुछ हिस्सा ओडिशा की सीमा से भी सटा हुआ है. इसके अलावा यहां आम, जामुन, बांस, कटहल एवं पलाश के भी अनेकों पेड़ हैं. यह ऐसा घना जंगल है, कि यहां कई जगहों पर दिन में ही रात हो जाती है. यहां कुछ ऐसा है कि सूरज की किरणें भी आने से घबराती है. वहीं, पलाश के सूरत लाल फूल जब यहां की धरती को छूते हैं तो लगता है कि किसी ने लाल कालीन बिछा दिया हो. ऐसे ही प्रजातियों के पेड़ों के अलावा पशु-पक्षियों का बड़ा साम्राज्य है, जबकि यहां कई झरना मौजूद हैं. टाइबो झरना, झाटीसरिंग झरना, झिंगरा फाल, पंचेरी फाल, पुंडुल फाल, रानी डूबा झरना, बाहुबली झरना है, जो यहां के जंगल को और रमणीक बनाते हैं. झारखंड सरकार इस जंगल को भी अभ्यारण्य बनाने के लिए भारत सरकार के पास प्रस्ताव भेज रही है. इसी तरह पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां जिले में फैले करीब 184 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले दलमा जंगल को हाथियों का अभ्यारण्य के तौर पर जाना जाता है, लेकिन यहां 135 से अधिक प्रजातियों की तितलियां, 225 से अधिक पक्षियां और कई सारे औषधीय पेड़-पौधे हैं, जो इस जंगल को और समृद्धशाली बनाते है. बाघ, भालू समेत कई जानवरों का भी यहां निवास होता है, जो इसके रोमांच को और बेहतर बनाते हैं.
नदियों का जाल है लाइफ लाइन
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