सिर्फ आर्थिक लाभ कमाना ही सफलता का पैमाना नहीं, XLRI में बोलीं कोका कोला की आरती शर्मा

XLRI Spirituality Conclave 2025: कोका कोला की आरती शर्मा ने कहा है कि सिर्फ आर्थिक लाभ कमाना ही सफलता का पैमाना नहीं हो सकता. उन्होंने और क्या-क्या बातें कहीं, पढ़ें.

By Mithilesh Jha | February 15, 2025 11:07 PM
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XLRI Spirituality Conclave 2025: अगर आपके पास खूब धन है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप सफल हो गये हैं. सिर्फ मजबूत आर्थिक स्थिति ही सफलता का आधार नहीं हो सकता. सफलता को पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता है. इसे सिर्फ आर्थिक लाभ के रूप में नहीं, बल्कि हमारे संगठनों और समुदायों पर स्थायी, सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता के रूप में भी आंकने की जरूरत है. ये बातें द कोका-कोला कंपनी, वेस्ट इंडिया की सीनियर डायरेक्टर आरती शर्मा ने कहीं. वे जमशेदपुर में XLRI के सेंटर फॉर स्पिरिचुअलिटी द्वारा आयोजित ‘स्पिरिचुअलिटी कॉन्क्लेव 2025’ में बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रही थी. कार्डिनल कूनिग हाउस (वियना, ऑस्ट्रिया), लासाले-हाउस बैड शॉनब्रुन (स्विट्जरलैंड), मकाऊ रिक्की इंस्टीट्यूट (मकाऊ) और मनेरेसा रिट्रीट हाउस (गोजो, माल्टा) के सहयोग से आयोजित इस कॉन्क्लेव में सभी को कॉर्पोरेट सेक्टर में अध्यात्म के महत्व से अवगत कराया गया.

अंधाधुंध लाभ की खोज कॉर्पोरेट सेक्टर को नैतिक और सामाजिक दायित्वों से दूर करती है

द कोका-कोला कंपनी के वेस्ट इंडिया की सीनियर डायरेक्टर आरती शर्मा ने अपने विस्तृत कॉर्पोरेट अनुभव के आधार पर कहा कि सचेतनता (माइंडफुलनेस), सहानुभूति (एम्पैथी) और नैतिक चेतना (एथिकल कॉन्शसनेस) आधुनिक नेतृत्व के लिए आवश्यक गुण हैं. उन्होंने कहा कि लाभ की अंधाधुंध खोज अक्सर व्यवसायों को उनके नैतिक और सामाजिक दायित्वों से दूर ले जाती है. इसका समाधान आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित नेतृत्व दृष्टिकोण में निहित है. इस दौरान उन्होंने किसी भी व्यापार में आध्यात्मिकता को एकीकृत करने के 3 महत्वपूर्ण पहलुओं को बताया. इसमें नेतृत्व में प्रामाणिकता, सहानुभूति और मानव-केंद्रित निर्णय लेना और माइंडफुलनेस के माध्यम से संकल्प शक्ति शामिल हैं.

मुख्य वक्ता के रूप में डॉ फादर सोमी एम मैथ्यू, एसजे (सीएसआईएफ, जेसीएसए, नई दिल्ली), डॉ फादर मरियनस कुजूर, एसजे (निदेशक, एक्सआईएसएस, रांची) और आरती शर्मा (सीनियर डायरेक्टर, द कोका-कोला कंपनी, वेस्ट इंडिया) उपस्थित थीं. इस कॉन्क्लेव में ‘व्यवसाय में आध्यात्मिकता का समावेश : भारत की विविध परंपराओं से ज्ञान अर्जित करना’ विषय पर प्रतिष्ठित विद्वानों, कॉर्पोरेट लीडर और विचारकों ने हिस्सा लिया. उन्होंने नेतृत्व, व्यावसायिक नैतिकता और मानव समृद्धि में आध्यात्मिकता की भूमिका पर चर्चा की.

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इस कार्यक्रम ने इस बात पर बल दिया कि आध्यात्मिक मूल्य नैतिक निर्णय लेने, सार्थक नेतृत्व और टिकाऊ कॉर्पोरेट प्रथाओं के लिए एक मजबूत आधार प्रदान कर सकते हैं. कार्यक्रम की शुरुआत एक प्रार्थना और दीप प्रज्ज्वलन समारोह से हुई. कॉन्क्लेव का नेतृत्व एक्सएलआरआई के डीन एडमिन व फाइनांस फादर डोनाल्ड डिसिल्वा ने किया. उन्होंने बताया कि आध्यात्मिकता आधुनिक व्यवसायिक वातावरण को कैसे प्रभावित कर सकती है.

30 पेपर प्रस्तुत किये गये

इस कार्यक्रम के पहले सत्र के बाद एक पैनल डिस्कशन का भी आयोजन किया गया, जिसमें अलग-अलग वक्ताओं ने अपनी बातें रखीं. इसके बाद यह बात निकलकर आयी कि आध्यात्मिक ज्ञान का आधुनिक बोर्डरूम और कॉर्पोरेट रणनीतियों में महत्वपूर्ण स्थान है. इस दौरान कुल 30 पेपर प्रेजेंट किये गये. साथ ही अलग-अलग संस्थानों से जुड़े 70 दिग्गजों ने हिस्सा लिया.

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