झारखंड का डोंबारी बुरू, जहां जालियांवाला बाग हत्याकांड से पहले अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा के अनुयायियों पर दिखायी थी बर्बरता

Dombari Buru: खूंटी का डोंबारी बुरू अंग्रेजों की बर्बरता की याद दिलाता है. जालियांवाला बाग हत्याकांड से पहले नौ जनवरी 1899 को यहां अंग्रेजों ने भगवान बिरसा मुंडा के आह्वान पर लड़ाई की रणनीति बना रहे आदिवासियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसायी थीं. इसमें सैकड़ों आदिवासी शहीद हो गए थे. इनकी याद में हर वर्ष यहां मेला लगता है.

By Guru Swarup Mishra | January 9, 2025 6:00 AM
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Dombari Buru: खूंटी, चंदन कुमार-झारखंड के खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड का डोंबारी बुरू अंग्रेजों की क्रूरता का गवाह है. भगवान बिरसा मुंडा के आह्वान पर यहां अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की रणनीति बना रहे हजारों आदिवासियों पर ब्रिटिश हुकूमत ने अंधाधुंध फायरिंग की थी. इसमें सैकड़ों आदिवासी शहीद हो गए थे, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए थे. वह दिन था नौ जनवरी, 1899. डोंबारी बुरू की ये घटना जालियांवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल 1919) से पहले हुई थी. इन शहीदों की याद में डोंबारी बुरू में हर वर्ष मेला लगता है. मेले में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है.

शहीदों को आज दी जाएगी श्रद्धांजलि


शहादत दिवस पर आज डोंबारी बुरू साइल रकब स्थित स्तूप में जाकर शहीदों को नमन करेंगे. गुरुवार को मेले का आयोजन किया जाएगा. इस अवसर पर सुबह विधिवत पूजा-अर्चना कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी. इसके बाद मेले में आए अतिथियों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी. मेले में कल्याण मंत्री चमरा लिंडा, खूंटी सांसद कालीचरण मुंडा, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, खूंटी विधायक राम सूर्या मुंडा, तोरपा विधायक सुदीप गुड़िया, उपायुक्त लोकेश मिश्र सहित अन्य के पहुंचेंगे.

मेले को लेकर तैयारी पूरी


डोंबारी बुरू में शहादत दिवस पर लगने वाले मेले को लेकर तैयारी बुधवार को पूरी कर ली गयी. मुरहू बीडीओ रंजीत कुमार सिन्हा, मुखिया सुरजू हस्सा सहित अन्य अधिकारियों ने डोंबारी बुरू जाकर तैयारियों का जायजा लिया. डोंबारी बुरू का रंग-रोगन किया गया. स्टेज बनाया गया और झालर लगाये गये. मेले को लेकर पूरे क्षेत्र में दुकानें सज गयी हैं. आयोजन समिति द्वारा एक हॉकी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया है.

बदली गयी है डोंबारी बुरू की तस्वीर


डोंबारी बुरू की तस्वीर काफी बदल गयी है. डोंबारी बुरू साइल रकब स्थित स्तूप परिसर का रंग-रोगन किया गया है. आसपास में बैठने के लिए सीमेंट की कुर्सियां बनायी गयी हैं. कुछ जगहों पर पेवर ब्लॉक बिछाया गया है. सड़क की मरम्मत की गयी है. अखरा के पास स्थित बिरसा मुंडा की प्रतिमा का भी सौंदर्यीकरण किया गया है. नयी सीढ़ियां बनायी गयी हैं, ताकि आसानी से लोग माल्यार्पण कर सकें.

चमरा लिंडा होंगे मुख्य अतिथि


डोंबारी बुरू शहादत दिवस पर आयोजित मेले में कल्याण मंत्री चमरा लिंडा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे. खूंटी विधायक राम सूर्या मुंडा ने बताया कि कल्याण मंत्री चमरा लिंडा गुरुवार की सुबह 11 बजे झामुमो जिला कार्यालय पहुंचेंगे. वहां से डोंबारी बुरू जाएंगे और मेला में हिस्सा लेंगे.

9 जनवरी 1899 को क्या हुआ था?


भगवान बिरसा मुंडा अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान को लेकर 9 जनवरी 1899 को अपने अनुयायियों के साथ सभा कर रहे थे. इस सभा की सूचना मिलने पर अंग्रेज सैनिक वहां आ धमके और सभास्थल को चारों ओर से घेर लिया. अंग्रेजों ने सभास्थल पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी. बिरसा मुंडा और उनके साथियों ने भी काफी संघर्ष किया. इस गोलीबारी के बीच बिरसा मुंडा किसी तरह से निकलने में सफल रहे, लेकिन सैकड़ों आदिवासी शहीद हो गये. इस हत्याकांड में शहीद हुए लोगों की याद में यहां हर साल 9 जनवरी को मेला लगाया जाता है.

शहीदों में से सिर्फ 6 ही हो सके हैं चिह्नित

डोंबारी बुरू में शहीद हुए सैकड़ों आदिवासियों में से अब तक सभी की पहचान नहीं हो पायी है. शहीद हुए लोगों में मात्र 6 लोगों की ही पहचान हो सकी है. इनमें गुटूहातू के हाथीराम मुंडा, हाड़ी मुंडा, बरटोली के सिंगराय मुंडा, बंकन मुंडा की पत्नी, मझिया मुंडा की पत्नी और डुंगडुंग मुंडा की पत्नी शामिल हैं.

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