संदीप सावर्ण, जमशेदपुरसीएसआइआर-एनएमएल के वैज्ञानिकों ने मोनेल स्क्रैप से प्लेटिंग ग्रेड कॉपर और निकेल सल्फेट को री-साइक्लिंग करने का तकनीक विकसित किया है. इसके लिए खास तौर पर हाइड्रो मेटलर्जिकल प्रक्रिया तैयार की गयी है, जिसके जरिए मोनेल स्क्रैप के प्रयोग के बाद भी उससे निकेल और कॉपर सल्फेट को दोबारा प्राप्त किया जा सकता है. इसके लिए सीएसआइआर-एनएमएल द्वारा पायलट प्रोजेक्ट पर कार्य किया जा रहा है. उक्त तकनीक के प्रयोग के बाद पाया गया कि जिसमें अनुकूलित परिस्थितियों में उत्पादित उत्पाद अच्छी गुणवत्ता के थे और उद्योगों द्वारा परीक्षण के अनुसार प्लेटिंग अनुप्रयोग के लिए उपयुक्त पाए गए थे. इस प्रक्रिया को विभिन्न उद्यमियों के सामने प्रदर्शित किया गया और उनके परिसर में प्रतिदिन 10 किलोग्राम का एक पायलट संयंत्र स्थापित किया गया. कई सप्ताह तक लगातार इसे चलाया गया. पायलट प्लांट में 500 मीट्रिक टन क्षमता का एक वाणिज्यिक संयंत्र डिजाइन किया गया है. हालांकि, बड़े पैमाने पर इसे धरातल पर उतारने के लिए संयंत्र का निर्माण कार्य चल रहा है. गौरतलब है कि मोनेल स्क्रैप सामान्य स्टेनलेस स्टील स्क्रैप धातु की तुलना में बहुत अधिक महंगा है. इसलिए जितना संभव हो सके स्क्रैप को री-साइकल करना महत्वपूर्ण है. यह कील बोल्ट, वाल्व, टर्निंग, समुद्री पाइपिंग सिस्टम, विमान और एंकर केबल सहित विभिन्न भागों और मशीनरी में पाया जाता है. मोनेल स्क्रैप मुख्य रूप से निकल (65-70%), तांबे (20-29%) से बना होता है, और इसमें मैंगनीज और लौह के साथ-साथ अन्य तत्वों की थोड़ी मात्रा भी होती है. तांबा और निकेल दोनों ही उच्च मूल्य वाले धातु हैं. इन धातुओं की री-साइक्लिंग से भारी राजस्व की प्राप्ति हो सकती है.
Agniveer Recruitment 2025: रांची में फिर बजेगा सेना भर्ती का बिगुल, 22 अगस्त से शुरू होगी अग्निवीर रैली
Ramdas Soren Health Updates : ब्रेन स्ट्रोक के बाद शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन की स्थिति गंभीर, अपोलो में भर्ती
Ramdas Soren: झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन की हालत गंभीर, दिल्ली के अपोलो में चल रहा इलाज
PhD Entrance Exam Jharkhand: झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों में पीएचडी प्रवेश परीक्षा पर रोक, यूजीसी गाइडलाइन से ही होगा नामांकन