मेदिनीनगर. शहर के स्टेशन रोड स्थित शांति की महारानी गिरजाघर में विशेष प्रार्थना सभा व अनुष्ठान हुआ. कैथोलिक विश्वासियों ने गुड फ्राइडे मनाने से पूर्व पुरोहितों के लिए क्रिस्मा मिस्सा पूजा अनुष्ठान का आयोजन किया. इस पवित्र समारोह में डालटनगंज धर्मप्रांत के पुरोहितों, समर्पित धर्मसमाजी व विश्वासियों ने अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत किया. मुख्य अनुष्ठाता बिशप थियोडोर मस्कारेन्हस की देखरेख में विशेष प्रार्थना सभा व मिस्सा पूजा अनुष्ठान संपन्न हुआ. पुरोहितों ने बिशप के साथ मिलकर ईश्वर और उनकी प्रजा की सेवा करने के लिए नयी आशा और शक्ति के साथ अपनी पुरोहिती प्रतिबद्धता का नवीनीकरण किया. समारोह की शुरुआत एक स्मरण वार्ता के साथ हुई. आध्यात्मिक रूप से समृद्ध अनुभव के लिए माहौल तैयार किया गया. क्रिस्मा मिस्सा पूजा अनुष्ठान के दौरान बिशप ने पुरोहितों के साथ तीन पवित्र तेलों का आशीष किया. इस क्रम में बीमार व्यक्तियों की चंगाई का तेल, नये दीक्षार्थियों का तेल और पवित्र अभिषेक के लिए तेल का आशीष दिया गया. बिशप थियोडोर मस्कारेनहास ने बताया कि इन तेलों का उपयोग विभिन्न संस्कारों में किया जायेगा. बिशप ने प्रवचन के दौरान पुरोहिताई के महत्व, उसके दिव्य मूल और उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने पुरोहितों को याद दिलाया कि उनका समर्पण ईश्वर की ओर से एक उपहार है, जिसका उद्देश्य उनके लोगों की सेवा करना है. बिशप ने विश्वासियों को पुरोहितों के लिए प्रार्थना करने, उनकी मानवता और कमजोरियों को स्वीकार करने के लिए आग्रह किया. बिशप ने कहा कि पुरोहिताई का कार्य ईश्वर का वरदान है. समर्पण भाव के साथ ईश्वर की प्रजा की सेवा और ईश्वरीय कार्य को पूरा करने में अपनी सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए. उन्होंने पुरोहितों को उनके मिशन को प्रभावी ढंग से पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए ईश्वर की शक्ति की याचना की. समारोह में प्रत्येक तेल का अनुज्ञा और आशीष शामिल था, जो संस्कारों में उनके महत्व को रेखांकित करता है. पवित्र क्रिज्मा तेल को विशेष प्रार्थना के माध्यम से पवित्र किया गया. यह तेल ईश्वर की सेवा के लिए व्यक्तियों का अभिषेक और अभिषेक करने में पवित्र आत्मा की भूमिका का प्रतीक है. पवित्र मिस्सा के बाद पुरोहितों ने अपने-अपने पेरिशों में उपयोग के लिए उन तेलों को लिया. क्रिस्मा मिस्सा पूजा अनुष्ठान में फादर संजय गिद्ध, फादर मौरिस टोप्पो, फादर फबियानस सिंदुरिया, फादर आमोद गिद्ध सहित कई पुरोहित व ख्रीस्तीय समाज के लोग मौजूद थे.
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