जिसे सोमवार को वापस लेने का निर्णय ले लिया. मालूम हो कि उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में राज्य के महाधिवक्ता ने भी सरकार को सलाह दी थी कि फ्रेश मेरिट लिस्ट निकालते हुुए गड़बड़ी करनेवाले दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाये.
सरकार द्वारा आदेश को चुनौती नहीं दी गयी. सरकार द्वारा प्रतिकूल अादेश दिये जाने की संभावना को देखते हुए जेपीएससी अपने बचाव में डबल बेंच पहुंच गया. अभ्यर्थियों ने जेपीएससी पर युवाअों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया. यह भी आरोप लगाया कि इस गड़बड़ी में दोषी अधिकारियों ने स्वयं को बचाने के लिए ही डबल बेंच का सहारा लिया है. आयोग के अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने शनिवार को उच्च न्यायालय में (जेपीएससी बनाम दिलीप कुमार सिंह) याचिका दायर की थी.
नौकरी कर रहे अधिकारियों ने भी आदेश को चुनौती दी है :
छठी सिविल सेवा परीक्षा में 326 अभ्यर्थियों को नौकरी दी गयी. ये लोग कार्य भी कर रहे हैं. नौकरी कर रहे अधिकारियों ने भी दर्जनों याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी है. जेपीएससी में छठी सिविल सेवा परीक्षा प्रक्रिया 2016 से आरंभ हुई. तब से यह विवाद में घिर गया. दो बार पैटर्न बदला गया.
तीन बार संशोधित रिजल्ट जारी किया गया. जेपीएससी द्वारा अब याचिका वापस लिये जाने के बाद राज्य सरकार द्वारा दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई संभव है. वहीं आयोग फ्रेश मेरिट लिस्ट निकालने की दिशा में कार्रवाई करेगा. हालांकि फ्रेश मेरिट लिस्ट निकालना भी आयोग के लिए तकनीकी परेशनी हो सकती है.
Posted By : Sameer Oraon