AK Roy Birth Anniversary: कॉमरेड एके राय के बारे में ये 10 बातें आप नहीं जानते होंगे

AK Roy Birth Anniversary: कॉमरेड एके राय देश की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखते थे. 3 बार सांसद और 3 बार विधायक बने. सिंदरी से विधायक रहे, तो बिहार सरकार के मुखिया ने उन्हें मंत्री बनने का ऑफर दिया, लेकिन राय दा ने उसे बड़ी विनम्रता के साथ ठुकरा दिया. 3 बार सांसद बने, लेकिन सांसद के रूप में कभी पेंशन नहीं ली. कोई सरकारी सुविधा नहीं ली. साइकिल से संसद जाते थे. और भी कई कारण हैं, जिसकी वजह से कॉमरेड एके राय महान नेता बने. यहां पढ़ें.

By Mithilesh Jha | June 14, 2025 3:32 PM
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AK Roy Dhanbad| बिहार-झारखंड की राजनीति के संत कहे जाने वाले कॉमरेड एके राय की 15 जून को जयंती है. हर साल उन्हें उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर याद किया जाता है. इस बार आपको हम उनके बारे में वो 10 बातें बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को मालूम है. कॉमरेड एके राय की वो 10 खास बातें, जिसकी वजह से उन्हें बिहार, झारखंड ही नहीं, देश की राजनीति में अलग नजरिये से देखा जाता है. सभी दलों में उनका सम्मान होता है.

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एके राय को महान बनाने वाली बातें

  1. सादगी और समर्पण : कॉमरेड एके राय अपनी सादगी के लिए प्रसिद्ध थे. सांसद और विधायक रहते हुए भी वे साइकिल से संसद जाते थे. उन्होंने सांसद के रूप में कभी पेंशन नहीं ली. कोई सरकारी सुविधा भी उन्होंने नहीं ली.
  2. मजदूरों का मसीहा : धनबाद के कोयला खदानों में मजदूरों के शोषण के खिलाफ उन्होंने आंदोलन शुरू किया और बेहतर वेतन और कार्यस्थितियों के लिए संघर्ष किया.
  3. झारखंड आंदोलन : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सह-संस्थापक के रूप में उन्होंने अलग झारखंड राज्य की मांग को बल दिया और आदिवासियों-मूलवासियों के हक की लड़ाई लड़ी.
  4. मार्क्सवादी चिंतक : कॉमरेड एके राय ने मार्क्सवादी विचारधारा को झारखंड के संदर्भ में लागू किया. उनकी पुस्तकें जैसे बिरसा से लेनिन और नयी दलित क्रांति उनकी वैचारिक गहराई को दर्शाती हैं.
  5. राजनीतिक उपलब्धियां : एके राय धनबाद से 3 बार सांसद (1977, 1980, 1989) चुने गये. सिंदरी विधानसभा से 3 बार विधायक चुने गये. लोकप्रिय नेता होने के नाते बिहार सरकार में उन्हें कई बार मंत्री बनने का ऑफर मिला, लेकिन हर बार उन्होंने उन प्रलोभनों को बड़ी विनम्रता से ठुकरा दिया. सत्ता के प्रलोभन से सदैव दूर रहे.
  6. मासस की स्थापना : झामुमो से वैचारिक मतभेद के बाद एके राय ने मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का गठन किया और मजदूर-आदिवासी हितों के लिए काम करने लगे.
  7. लेखक और विचारक : सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर कॉमरेड एके राय ने कई लेख और किताबें लिखीं. उनकी लिखी किताबें और लेख भारत के साथ-साथ देश के बाहर भी चर्चित रहीं. कई देशों में उनकी किताब हुई.
  8. खनन माफिया के खिलाफ संघर्ष : धनबाद और उसके आसपास के कोयलांचल में खनन माफिया और शोषणकारी नीतियों के खिलाफ उनकी आवाज हमेशा बुलंद रही.
  9. विवाह न करना : कॉमरेड एके राय ने निजी जीवन को त्यागकर पूरा जीवन जनसेवा और आंदोलन को समर्पित कर दिया.
  10. विरासत : 21 जुलाई 2019 को निधन के बाद भी उनकी सादगी, साहस, और वैचारिक दृढ़ता मजदूरों और झारखंड आंदोलन के लिए प्रेरणा बनी हुई है.

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