रांची: सरना कोड लागू करने की मांग को लेकर 30 दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद और रेल-रोड चक्का जाम की पूर्व संध्या पर झारखंड की राजधानी रांची में मशाल जुलूस निकाला गया. जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम से अल्बर्ट एक्का चौक तक केंद्रीय सरना समिति, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, आदिवासी छात्र संघ, आदिवासी सेंगेल अभियान एवं कई अन्य आदिवासी संगठन इस मशाल जुलूस में शामिल थे. केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि 15 करोड़ प्रकृति पूजक आदिवासियों को अब तक धार्मिक पहचान नहीं मिली है. वर्षों से आदिवासी सरना कोड की लड़ाई लड़ रहे हैं. धर्मकोड नहीं होने के कारण जबरन प्रकृति पूजक आदिवासी को हिंदू एवं ईसाई बनाया जा रहा है. 15 नवंबर को भारत के प्रधानमंत्री भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू आए थे, लेकिन उन्होंने सरना धर्मकोड के बारे में कुछ नहीं कहा.
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