: एक साल से चल रही है उपकरण खरीद की प्रक्रिया, टेंडर में फंसा है मामला
मुख्य संवाददाता,रांची
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की दो प्रमुख सेवाएं उपकरण के अभाव में शुरू नहीं हो पा रही है. पहली टीबी की अत्याधुनिक जांच और दूसरा 24 घंटे चलने वाला सेंट्रल लैब. इन दोनों सेवाओं के लिए मशीनों की खरीद की प्रक्रिया एक साल से चल रही है. मामला टेंडर पूरा नहीं होने की वजह से अटका पड़ा है. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि टेंडर की प्रक्रिया चल रही है, शीघ्र इसपर फैसला ले लिया जायेगा. अगर टीबी का बीएसएल थ्री लैब शुरू हो जाता, तो रिम्स में आने वाले संदिग्ध टीबी के मरीजों की बारीकी से स्क्रीनिंग होती और डॉक्टरों को पुष्टि करने में सहूलियत होती. इधर, सेंट्रल लैब शुरू होने से ब्लड जांच की सुविधा सातों दिन हर वक्त मिलने लगती. रिपोर्ट के लिए भी मरीजों को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता.
टीबी का बीएसएल थ्री लैब 1.25 करोड़ की लागत से बनाया गया है. इसके लिये केंद्र सरकार ने फंड उपलब्ध कराया है. इस तरह का लैब देश के सभी राज्यों में स्थापित किया जा रहा है. यह टीबी मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने में गति देने के लिए किया गया है. अगर जांच शुरू हो जाती, तो टीबी के मरीजों में दवाएं आखिर क्यों काम नहीं कर पा रही हैं, इसका भी पता चल जाता. लैब में सैंपल लेने से लेकर जांच की पूरी प्रक्रिया ऑटोमेटिक है, जिसमें कर्मचारियों को बीएसएल थ्री लैब की गाइडलाइन का पालन करना पड़ता है.
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