रांची. झारखंड के सरकारी चिकित्सकों और अन्य पदाधिकारियों को अब विदेश यात्रा पर जाने से पूर्व विभाग से अनुमति लेनी होगी. उन्हें इसके लिए शपथ पत्र भी देना होगा. चिकित्सकों के बिना अनुमति के विदेश यात्रा करने के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने गंभीर रुख अपनाया है. राज्य के सरकारी चिकित्सक बिना अनुमति के विदेश यात्रा के नाम पर मुख्यालय छोड़ दे रहे हैं. इसकी सूचना तक साझा नहीं कर रहे हैं. ऐसे में मेडिकल कॉलेजों में पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है.
मरीजों के इलाज में हो रही बाधा
वरिष्ठ और विशेषज्ञ डॉक्टरों के लंबे समय तक नहीं रहने से मरीजों के इलाज में बाधा हो रही है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग से जुड़े पदाधिकारी एवं डॉक्टर कार्मिक प्रशिक्षण, गोष्ठी, सेमिनार या व्यक्तिगत कार्यों के लिए विदेश जाते हैं. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने नया दिशानिर्देश जारी किया है. नये दिशानिर्देश के अनुसार डॉक्टरों और अन्य कर्मियों को निजी कार्य से व्यक्तिगत खर्च पर विदेश यात्रा संबंधी अनुमति के सभी प्रस्ताव विभाग को भेजने होंगे. विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी सहित सभी शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक चिकित्सा पदाधिकारी इसके दायरे में होंगे. मंजूरी के बाद ही वह यात्रा कर सकेंगे. डॉक्टरों को विदेश यात्रा के लिए अनुमति की फाइल अब स्वास्थ्य विभाग भेजी जायेगी. विदेश यात्रा पर निकलने के 30 दिन पहले आवेदन देना होगा.
त्यागपत्र देकर बिना स्वीकृति के पद छोड़ कर गायब हो रहे डॉक्टर
स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे चिकित्सा पदाधिकारियों के प्रति भी आपत्ति जतायी है, जो त्याग पत्र देकर बिना स्वीकृति के कार्य से मुक्त हो जाते हैं. जिसकी जानकारी न तो विभाग को होती है और न उनके संबंधित पदाधिकारी को होती है. ऐसी लगातार शिकायतों के सामने के बाद अपर मुख्य सचिव ने नाराजगी जतायी है. इसकी सूचना झारखंड सरकार के सभी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं झारखंड, सभी क्षेत्रीय उपनिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, इटकी आरोग्यशाला के अधीक्षक और राज्य के सभी सिविल सर्जन को भेजी गयी है.
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