329 वर्ष में पहली बार रथ यात्रा पर संशय, पारंपरिक पूजा की तैयारी में मंदिर समिति, बैठक आज

रांची : झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा में लगने वाले 329 साल पुराने ऐतिहासिक मेला और रथ यात्रा पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं. जगन्नाथपुर में रथ यात्रा सन् 1691 से धुर्वा के जगन्नाथपुर मंदिर परिसर से निकलती है. इस दौरान भव्य मेला भी लगता है. कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से मेला और रथ यात्रा के आयोजन को लेकर मंदिर समिति संशय की स्थिति में है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 3, 2020 9:18 AM
feature

रांची : झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा में लगने वाले 329 साल पुराने ऐतिहासिक मेला और रथ यात्रा पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं. जगन्नाथपुर में रथ यात्रा सन् 1691 से धुर्वा के जगन्नाथपुर मंदिर परिसर से निकलती है. इस दौरान भव्य मेला भी लगता है. कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से मेला और रथ यात्रा के आयोजन को लेकर मंदिर समिति संशय की स्थिति में है.

Also Read: 03 June: Unlock 1 और Corona को लेकर क्या है अपडेट, देखें झारखंड की टॉप 20 खबरें जो बनीं अखबार की सुर्खियां

मंदिर समिति के सदस्यों को अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इस बार रथ यात्रा निकलेगी या नहीं. मंदिर समिति ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर दिशा-निर्देश देने की मांग की है. मंदिर समिति की बुधवार को होने वाली आपात बैठक से एक दिन पहले तक जिला प्रशासन ने उनके पत्र का जवाब नहीं दिया था.

बुधवार को मंदिर समिति की बैठक में स्नान यात्रा, नेत्रदान व रथ यात्रा पर कोई निर्णय लिया जायेगा. समिति के मनोज तिवारी ने बताया कि पांच जून को भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम को महास्नान कराया जायेगा. दोपहर बाद भगवान एकांतवास में चले जायेंगे.

उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया के लिए कम से कम 50 लोगों की आवश्यकता होगी. ये लोग भगवान की मूर्ति को मुख्य मंदिर से बाहर निकालेंगे. इसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कैसे किया जाये, इस पर विचार होगा. इस दिन साल भर बाद भगवान के विग्रहों को गर्भगृह से बाहर निकाला जाता है.

श्री तिवारी ने बताया कि 51 कलश में जल भरकर उसमें अश्वगंधा, हल्दी, गुलाब और गंगा जल को मिलाकर भगवान को स्नान कराया जाता है. इसके बाद भगवान 15 दिन के एकांतवास में चले जाते हैं. 22 जून को पूजा के बाद शाम 5:00 बजे नेत्रदान अनुष्ठान करने के बाद महाआरती होगी और भगवान भक्तों को दर्शन देंगे.

Also Read: लॉकडाउन में ढील के बाद ऑटो में बैठने पर ढीली करनी होगी जेब, रांची में ऑटो का रेट चार्ट यहां देखें

23 जून को रथ यात्रा निकाली जायेगी. श्री तिवारी ने कहा कि अब रथ यात्रा के आयोजन के लिए ज्यादा वक्त नहीं है. इसलिए परंपरा का निर्वहन करने के लिए यह अपात बैठक बुलायी गयी है.

कई राज्यों के व्यवसायी आते हैं रांची

रथ मेला में झारखंड के अलावा छत्तीसगढ़, ओड़िशा, बिहार व बंगाल के लोग भी प्रत्येक वर्ष रांची आते हैं. कई दुर्लभ उपयोगी सामान इस मेला में मिलते हैं, जो आम दिनों में बाजारों में नहीं मिलते. मछली का जाल, झूला, घरेलू सामान, किचन के सामान, फर्नीचर, बांसुरी, तरह-तरह के खिलौने आदि के सैकड़ों स्टॉल लगते हैं. इन कारोबार से जुड़े लोगों को इस बार काफी निराशा हुई है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version