रांची. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सहनेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर हेमंत सरकार पर निशाना साधा है. श्री मरांडी ने कहा कि झारखंड सरकार संविधान पर हमला कर रही है और रूल ऑफ लॉ का गला घोट रही है. यह वक्तव्य झारखंड हाइकोर्ट का है. हाइकोर्ट ने चार जनवरी 2025 को अधिसूचना जारी कर सरकार को नगर निकाय चुनाव तीन हफ्ते के भीतर कराने का निर्देश दिया था. लेकिन आज तक ना चुनाव कराये गये, ना ही कोर्ट से मांगे गये चार माह के समय में चुनाव की कोई तैयारियां की गयीं. इस तरह हाइकोर्ट के आदेश की अवहेलना करना दिखाता है कि हेमंत सरकार न्यायपालिका का कितना सम्मान करती है. जब कोर्ट ने इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा तो बहाना दिया गया कि राज्य निर्वाचन आयोग की नियुक्ति नहीं की गयी है. नगर निकाय हो या महिला आयोग या फिर जेपीएससी, हेमंत सरकार ने अध्यक्ष की नियुक्ति करने में आना-कानी के अलावा आज तक कुछ नहीं किया. क्योंकि मुख्यमंत्री लोकतंत्र और संविधान के हर संस्थान को अपने अधीन रखकर उसे नियंत्रित करना चाहते हैं. हाइकोर्ट ने यह भी कहा कि स्थानीय निकायों को प्रशासक के भरोसे चलाना लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है. ऐसी व्यवस्था लंबे समय तक नहीं चल सकती. लेकिन लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ यह सरकार का कोई पहला काम नहीं है. डीजीपी की नियुक्ति से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव कराने तक, सरकार ने संविधान के नियमों के साथ खिलवाड़ किया है, उन्हें तोड़-मरोड़ कर अपने राजनीतिक हित के लिए प्रयोग किया है. हेमंत सरकार ने हर संवैधानिक संस्था को मृतप्राय कर देने का षड्यंत्र रचा है, ताकि सरकार द्वारा किये जा रहे अन्याय व अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने की कोई संभावना ही न रहे. लेकिन सरकार कितनी भी कोशिश कर ले, इस तानाशाही का अंत निश्चित है. इंदिरा गांधी ने भी संविधान की हत्या और लोकतांत्रिक संस्थाओं को नियंत्रित करने का प्रयास किया था, परंतु उस आपातकाल के काले अध्याय का अंत कैसा हुआ, हेमंत सरकार को याद रखना चाहिए.
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