Jharkhand Assembly Election: चंपाई सोरेन ने बढ़ाया सियासी तापमान, JMM व भाजपा में होती रही है कांटे की टक्कर

Jharkhand assembly election: सरायकेला विधानसभा का समीकरण अब बदल गया है. चंपाई सोरेन के बीजेपी में आ जाने से झामुमो के लिए चुनौती बन गये हैं. अब तक यहां से झामुमो और बीजेपी के बीच ही सीधी टक्कर होती रही है.

By Sameer Oraon | October 20, 2024 10:00 AM
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Jharkhand Assembly Election, सरायकेला/रांची: विधानसभा चुनाव में सरायकेला हॉट सीट बन गयी है. झामुमो के कद्दावर नेता रहे और पूर्व सीएम चंपाई सोरेन भाजपा में शामिल हो गये हैं. ऐसा कर चंपाई ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है. इससे इस विधानसभा क्षेत्र की पूरी राजनीति ही बदल गयी है. कभी भाजपा को चुनौती देनेवाले चंपाई सोरेन अब झामुमो के लिए ही चुनौती बन गये हैं. चंपाई लगातार अपने क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं. इस सीट पर झामुमो और भाजपा के बीच हमेशा कांटे की टक्कर होती रही है. वर्ष 1985 से अब तक देखें, तो स्थिति पूरी तरह साफ हो जाती है.

2000 में सरायकेला से अनंत राम जीते थे चुनाव

केवल 2000 में यहां से भाजपा के टिकट पर अनंतराम टुडू चुनाव जीते थे. बाकी चुनाव में झामुमो उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे हैं. वर्ष 1985 और 1990 में यहां से कृष्णा मार्डी झामुमो के टिकट पर चुनाव जीते थे. 1991 में झामुमो के कार्यकर्ता रहे चंपाई सोरेन ने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. वहीं 1995 में झामुमो के टिकट पर चंपाई सोरेन चुनाव लड़े और जीते. वर्ष 2000 में अलग राज्य आंदोलन की लहर के कारण भाजपा प्रत्याशी अनंतराम टुडू से चंपाई सोरेन हार गये. वर्ष 2005 से लेकर अब तक हुए चुनाव में झामुमो प्रत्याशी चंपाई सोरेन जीत हासिल करते रहे हैं. झामुमो को इस सीट से चंपाई के खिलाफ मजबूत दावेदार की तलाश है. वर्तमान में इस विधानसभा सीट पर जयराम महतो की पार्टी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के प्रयास में है.

सरायकेला राजघराने के सदस्य भी रहे हैं यहां से विधायक :

आजादी के पश्चात सरायकेला विस सीट सामान्य हुआ करती थी. प्रख्यात वकील मिहिर कवि 1952 से 1956, आदित्यप्रताप सिंहदेव 1957 से 1961, नृपेंद्र नारायण सिंहदेव 1962 से 1966, रुद्रप्रताप सिंहदेव 1967 से 1969, वन बिहारी महतो 1969 से 1972 और 1972 से 1976 तक राजघराने के सतभानु सिंहदेव विधानसभा चुनाव जीते थे. वर्ष 1977 में सरायकेला विस को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दिया गया. यहां से कादे मांझी 1977 व 1980 में चुनाव जीत कर विधायक बने. 1985 में झामुमो ने यह सीट भाजपा से छीन ली थी.

क्षेत्र में विकास की गति है धीमी

स्थानीय लोगों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री का क्षेत्र होने के बाद भी यहां विकास की गति धीमी है. कई योजनाएं अधूरी हैं.

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शिक्षा, स्वास्थ्य सहित आधारभूत संरचना की दिशा में बेहतर कार्य हुए हैं : चंपाई सोरेन

पूर्व मुख्यमंत्री सह स्थानीय विधायक चंपाई सोरेन ने कहा है कि पिछले 10 वर्षों में सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में कई बड़ी योजनाएं आयी हैं. नयी कंपनियों की स्थापना हुई है. जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिला है. कई योजनाओं की स्वीकृति दी गयी है, जिस पर काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि राजनगर और गम्हरिया में डिग्री कॉलेज बनने जा रहा है. कई सड़कें बनायी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं, ताकि आदिवासी मूलवासी को इसका फायदा मिल सके. शहरी क्षेत्र में पेयजल से लेकर सिवरेज सिस्टम योजना पर काम चल रहा है. सरायकेला शहर में भी कई विकास योजनाएं स्वीकृत की गयी हैं.

पाला बदलने से महागठबंधन पर असर पड़ा

किसी भी पार्टी में या किसी भी विधानसभा क्षेत्र में अगर लगातार कोई एक व्यक्ति चार से पांच बार चुनाव जीत रहा हो, तो उस विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की सेकेंड लाइन नहीं बन पाती है या नेता नहीं बनने देते हैं. विधायक और मंत्री स्वयं पार्टी के सर्वेसर्वा बन जाते हैं. संगठन उनके इशारे पर बनता है और चलता है. ऐसी स्थिति में जब जनप्रतिनिधि अचानक पाला बदलते हैं, तो संगठन का कमजोर होना लाजिमी है. इस क्षेत्र में महागठबंधन पर असर तो पड़ा ही है.

पुरेंद्र नारायण सिंह, प्रदेश महासचिव, राजद

इस बार जलापूर्ति की समस्या होगा मुख्य मुद्दा

विधानसभा चुनाव में इस बार आदित्यपुर में जलापूर्ति की समस्या मुख्य मुद्दा रहेगी. आदित्यपुर और आसपास की आबादी करीब चार लाख है. लेकिन उन्हें पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है. सीवरेज का काम धीमी गति से चल रहा है. उसमें तेजी लायी जाये. विधानसभा क्षेत्र के अन्य इलाकों में भी पेयजल संकट बरकरार है. ईचा डैम से विस्थापित लोग अपनी मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं. कई शैक्षणिक संस्थान खुले हैं और इसका लाभ गरीबों व वंचितों को मिले, इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. गंजिया डैम से किसानों को अधिक लाभ मिले, इसके लिए जिला प्रशासन पहल करे, ताकि अधिक पैदावार हो सके. आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियां सुचारू रूप से चले, इस पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए. कारण इन कंपनियों से हजारों लोगों को रोजी-रोटी मिल रही है.

ओम प्रकाश, अधिवक्ता

क्या कहते हैं लोग

औद्योगिक क्षेत्र आदित्यपुर इसी क्षेत्र में है. ग्रामीण क्षेत्र के लोग कृषि पर निर्भर हैं. रोजगार सृजन की दिशा में काम हो.

जलेश कवि, समाजसेवी सरायकेला

इस बार के चुनाव में पानी के साथ-साथ सीवरेज का भी मुद्दा रहेगा. आदत्यिपुर में सीवरेज सिस्टम खत्म हो चुका है.

संजीव कुमार, एस टाइप आदित्यपुर

गम्हरिया व राजनगर को जोड़ने के लिए ईटागढ़-आसंगी पुल ही एकमात्र सहारा है. लेकिन शिलान्यास के 14 वर्ष बाद भी इस पुल का उद्घाटन नहीं हो पाया है.

रवींद्र सरदार टाइगर, पूर्व मुखिया

यहां की कंपनियों में आज भी मजदूरों का शोषण हो रहा है. मजदूरों का शोषण बंद कराने व हक दिलाना चुनावी मुद्दा रहेगा. भोमरा माझी, सचिव, खेरवाल सांवता जाहेरगाड़ समिति, टायोगेट कालिकापुरईचा डैम बनता रहा
है. राजनीतिक मुद्दा सरायकेला विधानसभा क्षेत्र के राजनगर में स्थित ईचा डैम हमेशा से चुनाव के समय राजनीतिक मुद्दा बनता है. डूब क्षेत्र के लोग ईचा डैम को बंद करने की मांग करते रहे हैं. 1985 से डैम नर्मिाण का कार्य चल रहा है. लेकिन 39 वर्षों बाद भी यह पूरा नहीं हो सका है. डूब क्षेत्र के लोगों का कहना है कि पूरे डैम के निर्माण से ग्रामीण विस्थापित हो जायेंगे. इसलिए यह योजना रद्द की जाये. सरायकेला क्षेत्र का पहले की अपेक्षा काफी विकास हुआ है, लेकिन जिस गति से विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ है. मूल समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है.

कुणाल रथ, अधिवक्ता

सरायकेला के जिला मुख्यालय में सुविधायुक्त अस्पताल का अभाव है. इस अस्पताल को आधुनिक संसाधनों व विशेषज्ञ चिकित्सक की जरूरत है.

प्रदीपतेंदु रथ, अधिवक्ता

इस बार के चुनाव में पानी की समस्या ही मुख्य मुद्दा रहेगा, क्योंकि पूरे क्षेत्र के लोग जल संकट से परेशान हैं.

मनोज कुमार, आदित्यपुर
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