Jharkhand Assembly Election 2024: सत्ता का खेल बनाते और बिगाड़ते रहे छोटे दल, क्या इस बार भी दोहराया जाएगा इतिहास ?
सरकार बनाने में छोटे दलों बड़ी भूमिका रही है. राज्य गठन के बाद यहां एक बार भी किसी दल को बहुमत नहीं मिला है. इस कारण सरकार बनाने के लिए ज्यादा सीट लाने वाले दलों को छोटे-छोटे दलों का सहारा लेना पड़ा है.
By Manoj singh | October 29, 2024 11:06 AM
Jharkhand Assembly Election 2024, रांची: झारखंड गठन के पहले से ही इस राज्य में छोटे-छोटे दलों से से चुने गये प्रत्याशी महत्वपूर्ण रहे हैं. सरकार बनाने में इनकी भूमिका रही है. राज्य गठन के बाद यहां एक बार भी किसी दल को बहुमत नहीं मिला है. इस कारण सरकार बनाने के लिए ज्यादा सीट लाने वाले दलों को छोटे-छोटे दलों का सहारा लेना पड़ा है. इस बार भी चुनाव में कई छोटे-छोटे दल चुनावी मैदान में दमखम के साथ उतर रहे हैं. चुनाव से पहले ही कई छोटे-छोटे दलों ने बड़े-बड़े दलों के प्रत्याशियों को चुनौती देना शुरू कर दिया है. बड़े-बड़े दलों के रणनीतिकारों की नजर अभी से इन पर है. कुछ चुनाव से पूर्व, तो कुछ चुनाव जीतने के बाद इन दलों की भूमिका पर मंथन कर रहे हैं.
2000 में यूजीडीपी से जीते थे दो उम्मीदवार
वर्ष 2000 में झारखंड गठन से पहले विधानसभा चुनाव हुआ था. इसी चुनाव के आधार पर झारखंड बंटवारे के बाद सरकार बनी थी. इसमें झारखंड वाले हिस्से से दो ऐसे उम्मीदवार चुनकर आये थे, जो यूनाइटेड गोमांतक प्रजातांत्रिक पार्टी (यूडीजीपी) से चुनकर आये थे. झारखंड में बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में बनी सरकार में इनकी प्रमुख भूमिका थी. इस सरकार में 26 मंत्री बनाये गये थे. इसमें यूजीडीपी से जोबा मांझी भी थी. श्रीमती मांझी को उस सरकार में पर्यटन एवं महिला बाल विकास मंत्रालय का मंत्री बनाया गया था.
2005 में UGDP, AJSU और AIAFB ने जीती थी दो-दो सीट
2005 के विधानसभा चुनाव के बाद किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था. बहुमत पूरा करने में एक बार फिर छोटे दलों के साथ-साथ निर्दलीय का सहारा लिया गया. इस चुनाव में यूजीडीपी से जोबा मांझी और बंधु तिर्की जीते थे. जोबा मनोहरपुर तो बंधु मांडर से चुनाव जीते थे. आजसू से चंद्र प्रकाश चौधरी और सुदेश महतो चुनाव जीते थे. ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (एआइफबी) के टिकट से अपर्णा सेन गुप्ता और भानू प्रताप शाही जीते थे. इसके अतिरिक्त राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से कमलेश सिंह भी जीते थे. दो निर्दलीय स्टीफन मरांडी और हरिनारायण राय भी चुनाव जीते थे. इस कार्यकाल में सरकार बनाने को लेकर कई बार जोर आजमाइश हुई थी.
20 सीट से अधिक जीती थी छोटी पार्टियां
2009 के चुनाव में छोटे-छोटे दलों का प्रदर्शन और उल्लेखनीय हो गया था. इस बार करीब 20 प्रत्याशी छोटे-छोटे दलों से थे. सबसे अधिक प्रत्याशी बाबूलाल मरांडी के झारखंड विकास मोरचा से जीते थे. भाजपा से अगल होकर चुनाव लड़ रहे बाबूलाल मरांडी ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इसमें 11 सीट जीत गये थे. इस चुनाव में बंधु तिर्की जनाधिकार मंच, गीता कोड़ा जय भारत समानता पार्टी और एनोस एक्का ने झारखंड पार्टी के टिकट से चुनाव जीता था. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से कमलेश सिंह और मासस से अरूप चटर्जी भी चुनाव जीते थे. आजसू को इस चुनाव में पांच सीटों पर सफलता मिली थी. राष्ट्रीय कल्याण पक्ष से बिशुनपुर से चमरा लिंडा भी जीते थे.
रघुवर सरकार के साथ हो लिये थे झाविमो के विधायक
2014 में विधानसभा चुनाव के बाद रघुवर दास ने सरकार बनाया था. भाजपा और आजसू मिलाकर बहुमत के करीब थी. इस चुनाव में भी छोटे दलों में से झाविमो से सबसे अधिक आठ प्रत्याशी विधायक बने थे. सरकार गठन के कुछ माह के बाद ही झाविमो के कई विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा के साथ हो लिये थे. इस विधानसभा में दल-बदल की सुनवाई भी होती रही, लेकिन फैसला नहीं आया. इसी चुनाव में भानू प्रताश शाही नवभारत संघर्ष मोरचा के टिकट पर जीत कर आये थे. आजसू को भी पांच सीट मिली थी. माले भी एक सीट पर जीती थी. झापा से एनोस एक्का भी चुनाव जीते थे.
अंतिम चुनाव में सबसे कम थे छोटे दलों के प्रत्याशी
बीते चुनाव (2019) में सबसे कम छोटे दल के प्रत्याशी चुनकर आये थे. माले से एक प्रत्याशी विनोद सिंह जीतकर आये थे. इनके अतिरिक्त झाविमो से बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की जीतकर आये थे. इसमें प्रदीप यादव और बंधु तिर्की झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार के साथ हो लिये थे. वहीं बाबूलाल मरांडी भाजपा के खेमे में चले गये थे. आजसू को इस चुनाव में दो सीट मिली थी, पार्टी विपक्ष में बैठी थी.
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