Table of Contents
- Sarhul: सोशल मीडिया पर दी सरहुल की शुभकामनाएं
- हेमंत सोरेन के अकाउंट से कल्पना मुर्मू सोरेन ने किया ट्वीट
- प्रकृति के अमूल्य उपहारों का आभार जताने का अवसर है सरहुल
- सखुआ पेड़ के नीचे भोज, नाचते-झूमते खुशहाली की करते हैं कामना
- जलवायु परिवर्तन के दौर में प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें
- पूरे देश को सरहुल के पावन पर्व में शामिल होने का दिया आमंत्रण
Sarhul: झारखंड के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी और झामुमो नेता कल्पना मुर्मू सोरेन ने सरहुल की शुभकामनाएं दी है. दोनों ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर ट्वीट के जरिए प्रकृति पर्व की शुभकामनाएं लोगों को दी है.
Sarhul: सोशल मीडिया पर दी सरहुल की शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने ‘एक्स’ पर लिखा, जोहार, आप सभी को प्रकृति पर्व सरहुल की हार्दिक शुभकामनाएं. उन्होंने इसी ट्वीट में आगे लिखा है- सरहुल का संदेश है कि प्रकृति में मौजूद पेड़-पौधों, पहाड़, नदी, जमीन, सूर्य की तरह हम सभी आपस में प्रेम, भाईचारे व एकता के साथ रहें तथा समाज से जुडे़ रहें.
जोहार, आप सभी को प्रकृति पर्व #सरहुल की हार्दिक शुभकामनाएं।
— Champai Soren (@ChampaiSoren) April 11, 2024
सरहुल का संदेश है कि प्रकृति के पेड़- पौधों, पहाड़, नदी, जमीन, सूर्य की तरह हम सभी आपस में प्रेम, भाईचारे व एकता के साथ रहें तथा समाज से जुडे़ रहें। #Sarhul pic.twitter.com/iQRePwAbPl
हेमंत सोरेन के अकाउंट से कल्पना मुर्मू सोरेन ने किया ट्वीट
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की नेता और हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन ने अपने पति के ‘एक्स’ अकाउंट से एक ट्वीट किया है. इसमें उन्होंने लिखा है कि सरहुल प्रकृति की उदारता का उत्सव है.
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प्रकृति के अमूल्य उपहारों का आभार जताने का अवसर है सरहुल
उन्होंने इसमें आगे लिखा है कि जैसे ही सखुआ के पेड़ों पर फूल खिलने लगते हैं, हमें एक बार फिर प्रकृति के अमूल्य उपहारों का आभार व्यक्त करने का अवसर मिलता है. उन्होंने लिखा कि पीढ़ियों से, सरहुल हमारे लिए, जल, जंगल, जमीन की रक्षा करने वाले हमारे पूर्वजों को याद करने का पावन पर्व भी रहा है.
प्रकृति की उदारता का उत्सव है – सरहुल! 🌿
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) April 11, 2024
जैसे ही सखुआ के पेड़ों पर फूल खिलने लगते हैं, हमें एक बार फिर प्रकृति के अमूल्य उपहारों का आभार व्यक्त करने का पवित्र अवसर मिलता है।
पीढ़ियों से, सरहुल हमारे लिए, जल, जंगल, ज़मीन की रक्षा करने वाले हमारे पूर्वजों को याद करने का पावन…
सखुआ पेड़ के नीचे भोज, नाचते-झूमते खुशहाली की करते हैं कामना
कल्पना मुर्मू सोरेन लिखतीं हैं कि इस दिन हम पूजा करने के साथ-साथ सुंदर फूलों से आच्छादित सखुआ के पेड़ के नीचे एकत्रित होकर भोज करते हैं. हर्षोल्लास से नाचते-झूमते हैं और सभी की खुशहाली की कामना करते हैं.
जलवायु परिवर्तन के दौर में प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें
उन्होंने लिखा है कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में, हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए. सखुआ (शाल) का पेड़ केवल एक प्राचीन प्रतीक ही नहीं है. इसके पत्ते, फूल और लकड़ी हमारे खाद्य, औषधीय और जीवन-उपयोगी सामग्री के अमूल्य स्रोत भी हैं.
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पूरे देश को सरहुल के पावन पर्व में शामिल होने का दिया आमंत्रण
उन्होंने लिखा कि सरहुल का पर्व मनाकर, हम प्रकृति की रक्षा के प्रति एक बार फिर अपनी जिम्मेदारी को दोहराते हैं. मैं पूरे देश को सरहुल के पावन पर्व में शामिल होने के लिए आमंत्रित करती हूं. आइए, हम कृतज्ञता, एकजुटता और समृद्ध पारंपरिक संस्कृति के साथ प्रकृति का यह पावन पर्व मनाएं.
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