वर्ष 2004, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा हुई. प्रदेश के नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व को बताया कि किस-किस सीट पर कितना वोट आया, विरोधियों के खिलाफ वोट प्रतिशत क्या रही. पिछले लोकसभा चुनाव में किन सीटों पर स्थानीय उम्मीदवार नहीं रहने से कितना नुकसान हुआ. इसके साथ ही आला नेताओं को बताया गया कि कई सीटों पर जीत-हार का बड़ा अंतराल रहा, वोटों की इस खाई को पाटने के लिए पार्टी की तैयार और नये चेहरे पर भी चर्चा हुई.
प्रदेश नेतृत्व की ओर से बताया गया कि हजारीबाग व धनबाद में स्थानीय नेता नहीं रहने कि वजह से बड़ी हार हुई. प्रदेश नेतृत्व की ओर से दी गयी रिपोर्ट के आधार पर गठबंधन के दलों से केंद्रीय नेता बात करेंगे. कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ सीटों में समीकरण व पिछले प्रदर्शन को देखते हुए फेरबदल हो सकता है. इधर, प्रदेश के नेताओं ने लोकसभा चुनाव को लेकर सांगठनिक तैयारियों की जानकारी भी दी. केंद्रीय नेतृत्व को बताया गया कि लोकसभा स्तर पर समन्वय समिति का गठन किया गया है. हर लोकसभा स्तर पर संयोजक व प्रभारी बनाये गये हैं. लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले विधानसभा प्रभारी भी चुनाव कार्य में जुटेंगे. इसके साथ प्रदेश के डेलीगेट्स में शामिल संबंधित लोकसभा के लोग भी चुनाव अभियान में रहेंगे. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने केंद्रीय नेताओं को बताया कि गया कि पंचायत स्तर पर कमेटी का गठन कर लिया गया है. बूथ स्तर पर सांगठनिक काम पूरा किया जा रहा है.
जमशेदपुर की जगह चाईबासा पर झामुमो की नजर, कोडरमा चाहता है माले
रांची : आनेवाले लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के सीट बंटवारे में फॉर्मूला बदल सकता है. गठबंधन में जमशेदपुर से पिछला चुनाव झामुमो ने लड़ा था. झामुमो के चंपई सोरेन का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है. झामुमो इस सीट को छोडने का फैसला कर सकता है. चाईबासा सीट पर झामुमो की नजर है. कांग्रेस की वर्तमान सांसद गीता कोड़ा के भाजपा में जाने की अटकलें अलग से लग रही हैं. ऐसे में परिस्थितियों पर कांग्रेस की भी नजर होगी. वहीं पिछली बार कोडरमा सीट कांग्रेस ने झाविमो के लिए छोड़ दी है. नये समीकरण के बाद इंडिया गठबंधन के घटक वाम दल की नजर इस सीट पर है. माले इस सीट पर दावेदारी कर रहा है.