एआइसीटीई किसी भी पत्र के लिए खुद के डोमेन का करता है इस्तेमाल
डॉ प्रशांत ने कहा है कि एआइसीटीई किसी भी पत्र व्यवहार के लिए केवल अपने स्वयं के डोमेन (aicte-india.org) का उपयोग करता है. जालसाज नियुक्ति पत्र वैध दिखने के लिए फर्जी ई-मेल एड्रेस और जाली दस्तावेजों का उपयोग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले एआइसीटीई और शिक्षा मंत्रालय की प्रतिष्ठा को धूमिल करते हैं.
झारखंड की खबरें यहां पढ़ें
एआइसीटीई ने कहा- अभिभावकों के बीच बढ़ायें जागरूकता
एआइसीटीई ने सभी विवि व संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे इस मामले में विद्यार्थियों व अभिभावकों के बीच जागरूकता बढ़ायें. सभी छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को इस धोखाधड़ी की गतिविधि के बारे में जानकारी दें. साथ ही उन्हें इस तरह के नौकरी प्रस्तावों से निबटने के लिए सतर्क रहने की अपील की है. व्यक्तियों को आधिकारिक चैनलों से संपर्क कर एआइसीटीई या शिक्षा मंत्रालय से कथित रूप से किसी भी नौकरी से संबंधित संचार की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए प्रोत्साहित करने को कहा है.
धोखाधड़ी करनेवाले व्यक्ति की सूचना साइबर क्राइम को दें
एआइसीटीई ने यह भी कहा है कि धोखाधड़ी करनेवाले व्यक्ति, संस्था के किसी भी मामले की जानकारी तुरंत एआइसीटीई या साइबर क्राइम सेल को दें. विवि व संस्थान इस बाबत अधिसूचना जारी कर नोटिस बोर्ड पर भी लगायें. उप निदेशक ने सभी संस्थानों से कहा है कि वे केवल डोमेन (@aicte-india.org) या (@gov.in) से प्राप्त पत्र का जवाब दें व किसी प्रकार का डेटा प्रदान करें. एआइसीटीई ने संस्थाओं और व्यक्तियों से अनुरोध किया है कि वे ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट स्थानीय साइबर क्राइम सेल से करें, ताकि शीघ्र कार्रवाई की जा सके.
Also Read: World Cancer Day 2025: झारखंड में एक लाख की आबादी पर कितने कैंसर मरीज? ओरल के मामले सर्वाधिक, ये दे रहे नयी जिंदगी