बाबूलाल मरांडी के पुत्र की हत्या में नक्सली अरविंद यादव था शामिल, जमीन विवाद की वजह से जुड़ा संगठन में

Jharkhand Naxal News: 3 लाख का इनामी नक्सली अरविंद यादव बाबूलाल मरांडी के पुत्र समेत 20 लोगों की हत्या में शामिल था. उसके बारे में कहा जाता था कि पढ़-लिखा होने के साथ साथ बोलने में भी माहिर था. इसलिए वह संगठन के लिए बेहद महत्वपूर्ण था.

By Sameer Oraon | April 22, 2025 9:16 AM
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रांची : 3 लाख का इनामी नक्सली अरविंद यादव उर्फ अविनाश ने झारखंड का सबसे बड़ा चिलखारी नरसंहार की पटकथा लिखी थी. झारखंड‐बिहार की मध्य सीमा पर देवरी थाना (वर्तमान में भेलवाघाटी थाना) क्षेत्र के चिलखारी (चिलखरयोडीह) में हुए नरसंहार की इस घटना में झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी सहित 20 लोग मारे गये थे. इस घटना में देवरी थाना में कांड संख्या 167/07 के तहत मामला दर्ज किया गया था. इसमें अरिवंद यादव भी आरोपी है.

बेहद पढ़ा लिखा था अरविंद

भेलवाघाटी पुलिस अरविंद को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. पढ़ा‐ लिखा और बोलने में माहिर अरविंद नक्सली संगठन के लिए बेहद महत्वपूर्ण था. वह नये लोगों को संगठन में जोड़ने में माहिर था. सोनो प्रखंड के मोहनपुर में आठ कमरे वाला उसका एक तल्ला मकान आज भी मौजूद है. इसमें उसके माता‐पिता रहते हैं. पूर्व में उसके घर पर ईडी ने भी छापेमारी की थी. इसी वर्ष 22 जनवरी को बोकारो के ऊपरघाट में हुए मुठभेड़ में अरविंद यादव बाल‐बाल बच गया था. वह भेलवाघाटी के रास्ते चकाई के बोगी बरमोरिया जंगल भाग गया था.

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आसनसोल में भी है घर

अरविंद यादव का आसनसोल में भी मकान है. चार साल पूर्व पुलिस ने आसनसोल में उसके घर पर दिबश थी, तो वह अपनी पत्नी सहित वहां से निकल गया था. अरविंद नक्सली संगठन के लिए जहां मुख्य थिंक टैंक था, वहीं पुलिस और स्थानीय लोगों के लिए आतंक था.

जमीन विवाद के बाद थामा था संगठन का हाथ

अरविंद यादव जमुई, मुंगेर और लखीसराय में लंबे समय तक काम किया था. वह सोनो प्रखंड अंतर्गत चरकापत्थर थाना क्षेत्र के लालीलेबार पंचायत के भेलवा मोहनपुर गांव का निवासी था. संगठन को मजबूती देने की जिम्मेदारी अरिवंद के कंधे पर थी. इसके लिए उसका लगातार झारखंड और सीमावर्ती इलाके में मूवमेंट था. 42 वर्षीय अरविंद उर्फ अशोक यादव का नक्सली सफर लगभग दो से ढाई दशक का रहा है. सूत्रों की मानें तो वर्ष 2000 से 2001 के बीच वह नक्सली संगठन से जुड़ा था. संगठन से जुड़ने के पीछे का कारण आपसी जमीन विवाद था. उसके पिता यमुना यादव को भेलवा गांव में ननिहाल से खेत और अन्य संपत्तियां मिली थी. इस कारण वे लोग भेलवा में रहने लगे. अपने घर दूधिनयां गांव में उसके हिस्सेदार के साथ जमीन का विवाद काफी बढ़ गया था और यही विवाद खूनी संघर्ष में बदल गया. बदले की आग में जल रहे अरिवंद ने युवा अवस्था में ही नक्सली संगठन के साथ जुड़ गया.

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