करोड़ों रुपये की मलेरिया की दवा स्टोर में बर्बाद, पिछले साल इस बीमारी की चपेट आये थे 17 हजार से ज्यादा लोग

हालांकि मलेरिया से बीमार होनेवालों की संख्या इससे ज्यादा बतायी जाती है. अगर दवा लोगों में बांट दी जाती, तो ऐसी नौबत नहीं आती. सरकार सालाना लगभग 20 करोड़ रुपये मलेरिया से निबटने पर खर्च करती है, पर अधिकारियों की मनमानी और लापरवाही से इसी तरह पैसों की बर्बादी होती है और लोगों तक इसका लाभ पहुंचता ही नहीं है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 1, 2021 9:10 AM
an image

Jharkhand News, Ranchi News रांची : रांची जिला के इटकी यक्ष्मा आरोग्यशाला परिसर से सोमवार को मलेरिया व कालाजार की करोड़ों रुपये की जीवन रक्षक दवाइयां और जांच किट बरामद किये गये, जो स्टोर में रखे-रखे बर्बाद हो गये. सभी एक्सपायर दवाइयां एक वार्ड में डंप कर रखी गयी थी. यह दवा राज्य मलेरिया सेल की बतायी जा रही है. यह हाल तब है, जब राज्य में मलेरिया का प्रकोप हमेशा से रहा है. पिछले साल सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 17 हजार लोग मलेरिया की चपेट में आये थे और आठ लोगों की मौत हो गयी थी.

हालांकि मलेरिया से बीमार होनेवालों की संख्या इससे ज्यादा बतायी जाती है. अगर दवा लोगों में बांट दी जाती, तो ऐसी नौबत नहीं आती. सरकार सालाना लगभग 20 करोड़ रुपये मलेरिया से निबटने पर खर्च करती है, पर अधिकारियों की मनमानी और लापरवाही से इसी तरह पैसों की बर्बादी होती है और लोगों तक इसका लाभ पहुंचता ही नहीं है.

डंप की गयी अधिकतर दवाओं के उत्पादन की तिथि वर्ष 2005-07 के बीच की है. वहीं दवाओं की एक्सपायरी तिथि वर्ष 2008 से 2010 के बीच की है. वर्ष 2005 में आरोग्यशाला परिसर में राज्य मलेरिया सेल स्थापित किया गया था. परिसर के अपर सी वार्ड को दवा भंडार गृह बनाया गया था.

यहीं से राज्य के सभी जिलों में दवाइयां भेजी जाती थी. हालांकि वर्ष 2008 में मलेरिया सेल को नामकुम स्थित एनआरएचएम परिसर में शिफ्ट कर दिया गया था. स्वास्थ्य विभाग ने मलेरिया सेल को नामकुम शिफ्ट तो कर दिया, लेकिन वहां रखे करोड़ों रुपये की दवा आरोग्यशाला के पीओ वार्ड में ही छोड़ दिया गया. डंप की गयी दवाओं में क्लोरोक्वीन टेबलेट, पारा हिट रैपिड टेस्ट किट, स्टीवानेट व स्ट्रेट टेबलेट सहित अन्य दवाएं शामिल हैं.

अगर समय पर स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी दवाइयों को जिलों में भेज देते, तो मलेरिया से पीड़ित मरीजों को समय पर दवा मिल जाती. दवाओं के अभाव में जिला अस्पताल के मरीजों को भटकना नहीं पड़ता. जिला अस्पतालों में पहुंचे सैकड़ों लोगों को किट के अभाव में निजी जांच लैब में जांच करानी पड़ती है. दवाएं भी निजी दवा दुकानों से खरीदनी पड़ती है. मामले की जानकारी होने पर विधायक बंधु तिर्की आरोग्यशाला पहुंचे. दवाओं के एक कमरे में डंप होने की सूचना पर कमरे का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा कि यह स्वास्थ विभाग के अधिकारियों की घोर लापरवाही है. उन्होंने कहा कि मामले की जांच व कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री से भेंट करेंगे

Posted By : Sameer Oraon

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version