डॉ उरांव रविवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने निर्णय ले लिया है. झारखंड पिछड़ रहा है. पार्टी की ओर से घोषणा पत्र में किया गया वादा कहीं जुमला नहीं रह जाये. इसे वास्तविकता में बदलते हुए ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देना चाहिए.
जरूरत पड़े, तो अलग से बने कानून :
डॉ उरांव ने कहा कि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की बात सरकार में शामिल सभी दलों की घोषणा पत्र में की गयी है. 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण को लेकर सवाल उठते रहते हैं. सुप्रीम कोर्ट व हाइकोर्ट ने भी इसको लेकर सवाल उठाते हुए कई आदेश पारित किये हैं. इसके बावजूद केंद्र सरकार ने सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किया है. यहां भी आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ कर 60 प्रतिशत हो गयी है.
बिहार समेत दूसरे राज्यों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है. लेकिन, झारखंड के लोग इससे वंचित हैं. महाराष्ट्र सरकार ने मराठा को आरक्षण देने की घोषणा की है. इसे लेकर कानून भी बनाया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट व हाइकोर्ट की चिंता किये बगैर सरकार को इस पर अविलंब निर्णय लेना चाहिए. जरूरत पड़े, तो अलग से कानून बनाया जाये. उन्होंने बताया कि इसे लेकर विधायक दल के नेता आलमगीर आलम से बात हुई है. पार्टी के नेता व कार्यकर्ताओं की ओर से लगातार ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग हो रही है.
महागठबंधन में अब तक नहीं बना न्यूनतम साझा कार्यक्रम :
डॉ उरांव ने कहा कि झारखंड में महागठबंधन की सरकार बने डेढ़ वर्ष से अधिक समय गुजर चुके हैं. इसके बावजूद अब तक घटक दलों का न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) नहीं बन पाया है. यही वजह है कि पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल वादों को लेकर एक राय नहीं बन पा रही है.
Posted By : Sameer Oraon