रांची (प्रमुख संवाददाता). प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित संविधान बचाओ रैली को नौटंकी करार दिया है. श्री मरांडी ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता के लिए संविधान की मूल भावना को भी बदल दिया. साथ लोकतंत्र को समाप्त करने की हर संभव कोशिश की. कांग्रेस ने अपने 60 वर्षों के शासन में 79 बार संविधान में संशोधन किये, जो केवल तुष्टीकरण और सत्ता के लिए हुआ. कांग्रेस ने संविधान को तुष्टीकरण का घोषणापत्र बना दिया. कहा कि कांग्रेस नेतृत्व और झामुमो के नेताओं ने खुलेआम ऐसे बयान दिये, जिनमें शरीयत को संविधान से ऊपर बताया गया. ऐसे में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे बतायें कि शरिया बड़ा है या संविधान. उन्होंने रविवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने संविधान की मर्यादाओं और लोकतंत्र पर जितना प्रहार किये वो देश के इतिहास में काले पन्ने के रूप में दर्ज हैं. श्री मरांडी ने कहा कि वक्फ कानून पर हो रहे हिंसक विरोध और कांग्रेस को इसका समर्थन इसका सीधा उदाहरण है. झारखंड डीजीपी नियुक्ति विवाद राज्य की प्रशासनिक नियुक्तियों में संविधान को नजरअंदाज कर राजनीतिक हस्तक्षेप किया गया. मुस्लिम आरक्षण की साजिश सच्चर और रंगनाथ मिश्रा कमेटी यूपीए सरकार ने इन रिपोर्टों के आधार पर मुस्लिम समुदाय को एससी-एसटी कोटे में शामिल करने की सिफारिश की. यह संविधान प्रदत्त आरक्षण प्रणाली को कमजोर करने और अल्पसंख्यक तुष्टीकरण का प्रयास था. कर्नाटक में यह प्रयोग हाल फिलहाल में किया गया है. कांग्रेस पार्टी अपने कृत्यों के लिए जनता से माफी मांगे. श्री मरांडी ने कहा कि प्रथम संविधान संशोधन अभिव्यक्ति की आजादी पर पहला प्रहार पं जवाहर लाल नेहरू ने किया, ताकि सरकार की आलोचना करने वाले पर कार्रवाई की जा सके. इसने अनुच्छेद 19(1)(ए) में कटौती की और प्रेस की आजादी को सीमित किया. संविधान लागू करने के कुछ ही समय बाद नेहरू द्वारा किया गया संशोधन दिखता है कि वे इसकी कितनी इज्जत किया करते थे. कहा कि चुनी हुई राज्य सरकारों को गिराना यह कांग्रेस की फितरत रही है. गैर-कांग्रेसी सरकारों को बार-बार गिराने के लिए राष्ट्रपति शासन का दुरुपयोग किया गया. लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने का यह गंभीर उदाहरण था.
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