ज्योतिरींद्र नाथ टैगोर को जानें
महर्षि देवेंद्रनाथ ठाकुर के पांचवें सुपुत्र ज्योतिरींद्र का जन्म वर्ष 1849 में हुआ. वह रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई थे. पियानो और वायलिन के कुशन वादक थे. वेस्टर्न संगीत में भी उनकी दक्षता थी. 1884 में अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद बैरागी से हो गये. मुक्ति पाने के लिए शांति की खोज में रांची पहुंचे.
उन दिनों मोरहाबादी पहाड़ी मोरहाबादी गांव के जमींदार बाबू हरिहर सिंह की जमींदारी में थी. ज्योतीरींद्र उनसे मिले और कुछ शर्तों पर 23 अक्तूबर 1908 में 15 एकड़ 80 डिसमिल जमीन पहाड़ी के लिए बंदोबस्त करायी. काफी खर्च कर इस पहाड़ी पर सीढ़ियां बनवायी. सड़कें निकलवायी और ओसली के रेस्ट हाउस में आवश्यक परिवर्तन करके रहने लायक बनवाया. उन्होंने पहाड़ी पर ब्रह्म मंदिर बनावाया और उसे सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों की आराधना और ध्यान के लिए स्वतंत्र रखा.
पहाड़ की चोटी पर स्थित है ब्रह्म मंदिर
टैगोर हिल परिसर पर अनवरत पर्यावरण संरक्षण के साथ टैगोर बंधुओं के सर्वमान्य विचारों व आदर्शों के संरक्षण पर आधारित गतिविधि के लिए ब्रह्म मंदिर है. बीच पहाड़ पर स्थित शांति धाम में अनुसंधान, प्रदर्शनी, पुस्तकालय कक्ष, नाट्य, नृत्य, संगीत, चित्रकला के परिचालन सहित समय समय पर चर्चा-परिचर्चा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और बच्चों के लिए विभिन्न कला प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है़ इसका उद्देश्य लोगों में टैगोर दर्शन के प्रति जागृति बढ़ाना है.