आदिवासी महिलाओं के आवेदन किये जा रहे रद्द
पूर्व सीएम ने अपने पोस्ट में कहा कि एक ओर आदिवासी-मूलवासी समाज की महिलाओं का आवेदन किसी ना किसी बहाने से रद्द किया जा रहा है, उन्हें कार्यालयों में दौड़ाया जा रहा है. वहीं इन घुसपैठियों के सारे कागजात आसानी से बन रहे हैं. चंपाई सोरेन ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि इन्हें सरकारी पैसे दिलवाने वाले तथा इनको संरक्षण देने वाले कौन लोग हैं. जब वहां कोई मुस्लिम परिवार ही नहीं रहता, तो इनके आवेदनों का सत्यापन किसने किया. उन्होंने आगे कहा है कि अगर पूरे झारखंड में जांच हो, तो फर्जीवाड़े के ऐसे लाखों मामले मिलेंगे. क्या इन घुसपैठियों को शरण देने के लिए ही अलग झारखंड राज्य बना था.
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क्या है मामला
बता दें कि पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला प्रखंड से मंईयां सम्मान योजना में गड़बड़ी का मामला सामने आया था. यहां मंईयां योजना की स्वीकृत सूची में 409 लाभुकों में से 174 मुस्लिम महिलाओं के नाम शामिल थे. जबकि इस पंचायत में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता है. इसके साथ ही इन महिलाओं के नाम के साथ-साथ राशन कार्ड नंबर, मोबाईल नंबर और आधार कार्ड नंबर भी अंकित मिले. ऐसे में राशन कार्ड में भी गड़बड़ी की बात सामने आ रही है.
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