नदियों और जलाशयों में स्नान का है विशेष महत्व
इस दिन गंगा नदी सहित अन्य सहायक नदियों, तालाबों और जलाशयों में डुबकी लगाने का विशेष महत्व है. लोग सुबह से ही नदियों, तालाबों, जलाशयों और घरों में स्नान-ध्यान कर भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं. साथ ही दान-पुण्य करते हैं. इस दिन मंदिरों में प्रात: काल से ही भक्त पूजा-अर्चना शुरू कर देते हैं. भक्त भगवान को तिल, गुड़,चूड़ा, खिचड़ी,दही और सब्जी सहित अन्य कुछ अर्पित करेंगे. इसके बाद भगवान से सबकी मंगलकामना के लिए प्रार्थना करेंगे और इसका दान पुण्य करते हुए ग्रहण करेंगे. पंडित कौशल कुमार मिश्र ने कहा कि इस दिन ही तिल का दान व सेवन कर खिचड़ी का आनंद लेंगे. इस दिन से मांगलिक कार्य शुरू हो जायेंगे. कई महत्वपूर्ण कार्यों की शुरुआत भी लोग मकर संक्रांति से करते हैं.
क्या-क्या दान करें
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चूड़ा
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दही
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तिलकूट
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तिल का लड्डू
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द्रव्य
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ऊनी वस्त्र
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जूते
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छाता
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पंचांग
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अन्न सहित अन्य सामग्री
उत्तर भारत में बनते हैं खिचड़ी सहित कई व्यंजन
उत्तर भारतीय महिलाएं इस दिन प्रात: स्नान-ध्यान कर घरों में खिचड़ी सहित अन्य व्यंजन तैयार करती हैं और उसका दान करती हैं. कई लोग खिचड़ी को मिट्टी के बर्तन में तैयार करते हैं. इससे उसमें ना सिर्फ सौंधापन आता है, बल्कि पौष्टिकता भी बढ़ जाती है. कई जगहों पर सामूहिक रूप से इसे तैयार कर इसका वितरण भी किया जाता है.
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आसामी समाज का बिहू
इस दिन आसामी समाज के लोग माघ बिहू का त्योहार मनाते हैं. इस दिन लोग अग्नि देवता की पूजा-अर्चना कर घरों में कई तरह के पकवान तैयार करते हैं. जिसे भगवान को अर्पित करने के बाद इसे पूरे परिवार के साथ ग्रहण किया जाता है. सभी लोग परंपरागत गीत-नृत्य आदि का आनंद लेते हैं.
मारवाड़ी समाज में निभायी जाती हैं रस्में
मारवाड़ी समाज की महिलाएं इस दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान कर भगवान सूर्य सहित अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर सबकी मंगलकामना के लिए प्रार्थना करती हैं. इसके अलावा घरों से 14 सामग्री निकालती हैं और उन्हें गरीबों व जरूरतमंदों के बीच वितरित करती हैं. इसके अलावा घरों में कई तरह के व्यंजन तैयार करती हैं. इसके बाद घर की बड़ी बहू पीला चुनरी ओढ़कर सास को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लेती हैं. पुरुलिया रोड निवासी पायल शर्मा ने कहा कि वह पिछले 22 वर्षों से यह रस्म निभाती आ रही हैं. वहीं नयी नवेली दुल्हन के ससुराल में इस पर्व को लेकर खासा उत्साह रहता है. उनके ससुराल में पूजा सामग्री से लेकर कपड़े,घेवर,मिठाई सहित अन्य कुछ भिजवाया जाता है .वहीं घर में आनेवाले मेहमानों के बीच इसका वितरण किया जाता है.
गुजराती बनाते
हैं उत्सर पाव
गुजराती समाज के लोग इस दिन प्रात: स्नान ध्यान कर काला तिल से बने लड्डू,अन्न ,द्रव्य सहित अन्य कुछ का दान करते हैं. इसके अलावा दिन में पतंग उड़ा कर अपनी खुशी का इजहार करते हैं. उत्सर पाव (एक तरह की खिचड़ी) बनाया जाता है और उसका सेवन कर इसका वितरण व दान दिया जाता है.
बाजार में चहल-पहल
मकर संक्रांति को लेकर बाजारों में चहल पहल रही. विशेषकर चूड़ा व तिलकूट आदि की दुकानों के अलावा राशन की दुकानों में भीड़ रही. मौके पर लोगों ने त्योहार से संबंधित सामग्री की खरीदारी की.वहीं मिठाई की दुकानों में भी दही सहित अन्य मिठाई लेने के लिए भीड़ रही.
सब्जी बाजार में भीड़
त्योहार को लेकर सब्जी बाजार में भीड़ उमड़ पड़ी. लोगों ने मटर,नया आलू, गोभी, कोहड़ा, टमाटर, कटहल सहित अन्य सब्जियों की खरीदारी की. मालूम हो कि इस दिन लोग घरों में खिचड़ी व कई तरह की सब्जी बनाने में इसका प्रयोग करते हैं.
मोरहाबादी में नमो पतंग उत्सव, बच्चों में दिखा उत्साह
मोरहाबादी मैदान में शनिवार को नमो पतंग उत्सव कार्यक्रम हुआ. पिछले 13 वर्षों से सांसद संजय सेठ द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इसमें बड़ी संख्या में बच्चों ने भाग लिया और पतंग उड़ायी. सांसद संजय सेठ द्वारा बच्चों के बीच पतंग एवं लटाई का भी वितरण किया गया. मौके पर श्री सेठ ने कहा कि आज अपनी संस्कृति बचाने के लिए ऐसे कार्यक्रम का आयोजन जरूरी है. आज के बच्चे अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं. कार्यक्रम में राजेश प्रसाद, राम लखन राम, रोमित नारायण सिंह, सुबेश पांडे, सुधीर सिंह, विनोद वर्मा ,आलोक सिंह परमार, बजरंग वर्मा और राजकिशोर सिंह आदि मौजूद थे.