रांची. खूंटी में पुलिस द्वारा एक नाबालिग बालक की कथित पिटाई के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सख्त रुख अपनाया है. आयोग ने झारखंड सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न पीड़ित किशोर को एक लाख रुपये मुआवजा दिया जाये. इस मामले में चाइल्ड राइट फाउंडेशन ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी. इसके साथ ही आयोग ने खूंटी एसपी को निर्देश दिया है कि दोषी पुलिसकर्मी और घटना में शामिल अन्य ग्रामीणों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें. घटना 16 फरवरी 2025 की है, जब खूंटी जिले की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) की पुलिस टीम एक मानव तस्करी के आरोपी को गिरफ्तार करने एक गांव पहुंची थी. आरोपी तो फरार मिला, लेकिन पुलिस ने उसके 16 वर्षीय पुत्र को महिला थाना खूंटी ले जाकर हिरासत में लिया और बुरी तरह पीटा. आरोप है कि पिटाई इतनी गंभीर थी कि वह खड़ा या बैठ भी नहीं पा रहा था. पीड़ित की मां द्वारा सूचना दिये जाने पर उसके मामा थाने पहुंचे और बच्चे को छुड़ाया. बाद में उसे खूंटी सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. एसआइ ने वरीय अधिकारियों को नहीं दी थी सूचना जांच में सामने आया कि कार्रवाई के समय एसआइ संतोष रजक ने अपने उच्चाधिकारियों को घटना की जानकारी नहीं दी थी. आयोग को भेजी गयी रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया है कि बालक को थाने लाकर पीटा गया. स्कूल प्रमाण-पत्र के अनुसार उसकी उम्र 16 वर्ष है. आयोग ने माना कि यह घटना न केवल मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है, बल्कि यह भारतीय न्याय संहिता, 2023 और किशोर न्याय अधिनियम का भी उल्लंघन है. दोषी एसआइ को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू कर दी गयी है. मानवाधिकार आयोग के इस निर्देश को बाल संरक्षण और पुलिस जवाबदेही के लिहाज से महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
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