सावन में उमड़ती है आस्था की भीड़, शंकराचार्य ने किया था नामकरण
स्वप्न में मिला शिवलिंग का संकेत
धाम से जुड़ी एक और दिलचस्प कथा स्थानीय लोग साझा करते हैं. बताया जाता है कि 1960 के दशक में एक यात्री बस आर साहु नामक व्यक्ति द्वारा संचालित होती थी, जो यहां बार-बार खराब हो जाया करती थी. एक बार बस खराब होने पर साहु स्वयं यहां रुके और रात में उन्हें स्वप्न में झाड़ियों के बीच शिवलिंग के होने का संकेत मिला. सुबह उन्होंने सफाई करवाया तो वास्तव में स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ. तभी से यह स्थान शिवभक्तों की श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बन गया.52 वर्षों से कमेटी कर रही देखभाल
सावन में लगता है श्रद्धालुओं का मेला
सावन के पावन महीने में आम्रेश्वर धाम में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है. झारखंड के विभिन्न जिलों के साथ-साथ बिहार, बंगाल और ओडिशा से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. भक्तों की मान्यता है कि यहां जल अर्पण करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
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