हजारों श्रध्दालु मिलकर खींचते हैं भगवान का रथ
इस दिन मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीनों के विग्रह की खास पूजा की जाती है. इसके बाद ढोल नगारों के साथ तीनों विग्रह को मंदिर से बाहर निकाला जाता है और रथ पर बैठाया जाता है. इसके बाद हजारों श्रध्दालु मिलकर भव्य रथ को खींचते हैं. मौसीबाड़ी पहुंचने के बाद रथ को रोका जाता है. भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ 9 दिनों तक मौसीबाड़ी में ही रहते हैं. यहां से 10 वें दिन विग्रह को वापस रथ में बैठकर जगन्नाथ मंदिर लाया जाता है. इस दिन को ‘घूरती रथ’ के नाम से जाना जाता है.
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भव्य रथ मेले में क्या होता है खास?
इन 10 दिनों तक मंदिर परिसर में भव्य मेला लगता है. इस मेले में विभिन्न तरह की कई दुकानें सजती है, जहां हर छोटा से बड़ा सामान आसानी से मिल जाता है. इस मेले के लोकप्रिय होने की यह भी एक खास वजह है कि यहां कई अद्भुत, अनोखी और काम की चीजें मिलती है. देशभर से कई व्यापारी यहां अपना सामान बेचने आते हैं. मेले में छोटे-बड़े बर्तन, तलवार जैसे अन्य शस्त्र, मछली पकड़ने वाले बड़े जाल, घर के सजावटी सामान, हस्तकला के सामान, खिलौने, और रंग-बिरंगी स्वादिष्ट मिठाइयां खूब बिकती हैं.
मेले में बड़े और अतरंगी झूले होते है खास
मेले में लोग बड़े-बड़े और अतरंगी झूलों का भी आनंद उठाते है. यहां एक से बढ़कर एक शानदार झूले लगे होते है. इसके अलावा मेले में लोग मौत का कुआं और नागिन जैसे शो देखना भी काफी पसंद करते हैं. यहां खाने-पीने के लिए भी कई स्टाल लगे होते है, जहां आप बढ़ियां स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ उठा सकते हैं.
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