तत्कालीन कोषागार पदाधिकारी सीधे तौर पर दोषी
लेकिन ई लकड़ा का यूजर आइडी डिएक्टिव नहीं किया गया. ई लकड़ा के यूजर आइडी से 2015 के बाद भी काम हुआ. जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसके लिए तत्कालीन कोषागार पदाधिकारी सीधे तौर पर दोषी हैं. कोषागार में वित्तीय अनियमितता को अंजाम देने के लिए एक से बढ़ कर एक कारस्तानी हुई.
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डीडीओ कोड में अचानक बदले जाते थे नाम व मोबाइल नंबर
अभियंता राधेश्याम रवि अप्रैल 2022 से जुलाई 2023 तक कार्यपालक अभियंता के पद पर रहे. कार्यपालक अभियंता रवि, लेखा पदाधिकारी रंजन कुमार और रोकड़पाल संतोष कुमार ने डीडीओ कोड आरएनसीडब्लूएसएस 017 में नाम और मोबाइल नंबर परिवर्तित करने के लिए हस्तलिखित एक आवेदन दिया. जांच कमेटी ने माना है कि इसके पीछे मंशा सही नहीं थी. जांच कमेटी का मानना है कि इस कोड में लंबे समय तक ट्रांजेक्शन बंद रहा, फिर इसे एक्टिव करना गबन की मंशा बताता है.
राधेश्याम राम के नाम से नहीं था कोई पदाधिकारी, लेकिन ट्रांजेक्शन डिटेल में उसी का नाम
कार्यपालक अभियंता रवि का नाम डीडीओ कोड आरएनसीडब्लूएसएस 017 में किस आदेश के आधार पर अपग्रेड और किस आइडी से हुआ, इसका विवरण आइएफएमएस डाटाबेस में उपलब्ध नहीं है. यही नहीं, घोटाले में एक बड़ा खेल हुआ. इसी अवधि में राधेश्याम राम के नाम से इस डीडीओ कोड में एक नाम और जुड़ गया. जांच कमेटी ने कहा है कि यह विशेष जांच का मामला बनता है. इसी कोड में मोबाइल नंबर 7004045342 अपग्रेड किया गया. इस कोड से ट्रांसजेक्शन का ओटीपी इसी मोबाइल नंबर पर आता था, जबकि राधेश्याम राम के नाम से कोई कार्यपालक अभियंता विभाग में था ही नहीं. हस्ताक्षर राधेश्याम रवि का होता था, जबकि पेमेंट ट्रांजेक्शन डिटेल में डीडीओ का नाम राधेश्याम राम है. जांच कमेटी ने इस पर बड़ा सवाल खड़ा करते हुए मामले की गहराई से जांच करने को कहा है.
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