35 रोगी कर रहे सामान्य जीवन, सात लौटे घर, तीन को अपनों का इंतजार
16 जून 2024 को हुई थी शुरुआत
सेवा कार्य की शुरुआत 16 जून 2024 को राधा-कृष्ण मंदिर की स्थापना के साथ हुई थी. मंदिर के दूसरे तल पर बनाये गये सत्य प्रेम सभागार में फिलहाल 50 बिस्तरों की सुविधा है, जबकि कुल 80 लोगों के लिए रहने की क्षमता विकसित की गयी है. यहां 17 प्रशिक्षित सेवादार प्रभुजी की देखरेख, दिनचर्या, खान-पान और अन्य आवश्यक कार्यों में समर्पित भाव से सेवाएं दे रहे हैं. संस्था के उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल के अनुसार, गुरुजी की प्रेरणा से सेवा कार्य की शुरुआत की गयी थी. प्रभुजी की दिनचर्या में योग, ध्यान, सुबह की सैर और मानसिक व्यायाम जैसे गतिविधियां शामिल की जाती हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास धीरे-धीरे लौटता है.
सड़क से आश्रम तक, सेवा की संपूर्ण प्रक्रिया
नियमित चिकित्सा और पुनर्वास की व्यवस्था
हर माह दो बार मनोचिकित्सक डॉ एचपी नारायण द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है. अब तक जिन रोगियों को उनके घर का पता याद था, उनके परिजनों से संपर्क कर स्थानीय थाना की मदद से उन्हें सकुशल घर भेजा गया है. ये लोग झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से थे.
तीन लोग कर रहे अपनों का इंतजार
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