गरुड़ मंदिर में 15 दिनों के एकांतवास में गये महाप्रभु
15 दिनों तक भगवान को काढ़ा का लगेगा भोग
स्नान के उपरांत मान्यता अनुसार महाप्रभु को अस्वस्थ मानते हुए उन्हें गरुड़ मंदिर में 15 दिनों के एकांतवास में ले जाया गया. इस अवधि में प्रभु को आम दर्शन से वंचित रखा जायेगा. वैद्यों द्वारा उपचार और कलाकारों द्वारा नवस्वरूप निर्माण की प्रक्रिया यहीं चलेगी. इसे अनवसर काल कहा जाता है. भगवान जगन्नाथ को हर साल एक बार स्नान कराया जाता है. स्नान के बाद 15 दिन के लिए भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं. तब यहां की रसोई भी बंद कर दी जाती है. भगवान को 56 भोग भी नहीं खिलाया जाता. उसकी जगह काढ़ा का भोग लगाया जाता है. साथ ही भगवान को आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का भी भोग लगाया जाता है. इस दौरान भगवान जगन्नाथ की बीमारी की जांच करने के लिए रोजाना वैद्य भी आते हैं.महाप्रभु के स्वस्थ होने पर होगा नेत्र उत्सव
स्नान पूर्णिमा की झलकियां…
:::: दिन के एक बजे भगवान के सभी विग्रहों को बारी-बारी से स्नान मंडप में लाकर रखा गया.:::: दिन के दो से साढ़े तीन बजे तक श्रद्धालुओं की ओर से महाप्रभु को स्नान कराया गया.
:::: दिन के 3.45 के बाद विष्णु अष्टकम, जगन्नाथ अष्टकम और गीता के द्वादश अध्याय का पाठ हुआ.
:::: स्नान मंडप में राधा-कृष्ण समेत कई देवी-देवताओं की पूजा की गयी.
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