झारखंड में 30 लाख पेड़ लगाने वाली सरायकेला की चामी मुर्मू को पद्म श्री पुरस्कार
सरायकेला-खरसावां जिले की रहने वाली आदिवासी महिला चामी मुर्मू ने पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काफी काम किया है. पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान के लिए समाज सेवा के क्षेत्र में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है.
By Mithilesh Jha | January 25, 2024 10:16 PM
झारखंड की चामी मुर्मू को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. भारत सरकार की ओर से इसकी घोषणा कर दी गई है. 52 साल की चामी मुर्मू को देश भर में ‘सरायकेला की सहयोगी’ के नाम से जाना जाता है. सरायकेला-खरसावां जिले की रहने वाली आदिवासी महिला चामी मुर्मू ने पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काफी काम किया है. 3,000 महिलाओं के साथ मिलकर चामी ने 30 लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं. पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान के लिए समाज सेवा के क्षेत्र में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार देने की घोषणा सरकार की ओर से की गई है. प्रभात खबर ने वर्ष 2017 में चामी मुर्मू को ‘अपराजिता सम्मान’ से सम्मानित किया था.
सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर की रहने वाली चामी मुर्मू लेडी टार्जन के नाम से भी मशहूर हैं. उन्होंने 30 हजार से अधिक महिलाओं को स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जोड़ा है. एसएचजी से जुड़ने के बाद 40 से अधिक गांवों की इन महिलाओं के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आया. चामी मुर्मू ने इन्हें रोजगार से जोड़ा, जिसकी वजह से उनके सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ. महिलाएं सशक्त हुईं.
इतना ही नहीं, चामी मुर्मू ने ‘सहयोगी महिला’ नामक एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के जरिए कई सामाजिक काम किए. सुरक्षित मातृत्व पर उन्होंने जोर दिया. एनीमिया और कुपोषण के अलावा किशोरी शिक्षा की दिशा में भी काम किया. चामी मुर्मू ने वन की अवैध कटाई के खिलाफ जंग छेड़ी. उन्होंने लकड़ी माफिया और नक्सली गतिविधियों के खिलाफ भी पूरे समर्पण के साथ अभियान चलाया. जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए उनके कार्यों की वजह से ही उन्हें लेडी टार्जन का दर्जा मिल चुका है.
चामी मुर्मू को पद्म श्री दिए जाने की घोषणा पर केंद्रीय कृषि तथा जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने बधाई दी है. उन्होंने कहा कि चामी मुर्मू ने पर्यावरण संरक्षण के लिए जमीनी स्तर पर कार्य किया है. चामी मुर्मू ने अपने सहयोगियों के साथ न सिर्फ 30 लाख से अधिक पेड़ लगाए, बल्कि लोगों को भी पौधरोपण, पौधों एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया. उन्होंने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में भी काम किया है.