रांची (प्रमुख संवाददाता). झामुमो ने भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के बयान पर पलटवार किया है. पार्टी के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि भाजपा और रघुवर दास आदिवासी समाज के मुद्दों को लेकर केवल राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं, न कि समाधान देना. कहा कि रघुवर दास को पेसा कानून की याद अब आ रही है, जबकि उनके पूरे शासनकाल में इस दिशा में एक भी ठोस कदम नहीं उठाया गया.
श्री पांडेय ने कहा कि झामुमो ही है, जिसने झारखंड राज्य बनाया और हमेशा आदिवासी समाज की अस्मिता, भाषा, संस्कृति और स्वशासन के लिए संघर्ष किया. हमने सरना कोड की आवाज संसद तक पहुंचायी है. 2020 में झारखंड विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया, जो आज तक केंद्र सरकार की फाइलों में दबा पड़ा है. श्री पांडेय ने कहा कि भाजपा को पेसा, सरना कोड या आदिवासी समाज के अन्य अधिकारों पर बोलने से पहले आत्मचिंतन करना चाहिए कि उसने पिछले शासन में क्या किया. आज जब हेमंत सरकार हर मोर्चे पर आदिवासी हितों को प्राथमिकता दे रही है, तो भाजपा के पेट में दर्द हो रहा है.
आदिवासी समाज को गुमराह कर रही भाजपा : विनोद पांडेय
विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि भाजपा को पेसा कानून की मूल भावना से नहीं, बल्कि इसे अपने एजेंडे के अनुसार मोड़ने में रुचि है. हेमंत सरकार पेसा नियमावली को लेकर गंभीरता से काम कर रही है और तमाम वैधानिक प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद अब अंतिम स्तर पर प्रक्रिया चल रही है. कहा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वयं आदिवासी हैं. सरना धर्म को मानने वाले हैं और भाजपा को यह रास नहीं आता. इसलिए वे समाज को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं.
भाजपा पर आदिवासी समाज को बांटने का लगाया आरोप
झामुमो महासचिव ने भाजपा पर आदिवासी समाज को विदेशी धर्म और मूल धर्म के नाम पर बांटने का आरोप लगाया. कहा कि यह वही भाजपा है, जो आदिवासियों को ईसाई बताकर उनकी नागरिकता, रोजगार और अधिकारों को संदेह के घेरे में खड़ा करती रही है. अब पेसा कानून को धर्म की चादर में लपेटकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश हो रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. आदिवासी समाज समझ चुका है कि कौन उनके साथ है और कौन राजनीति करता है.
झामुमो का 11 सदस्यीय मीडिया पैनल गठित
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