पिपरवार. किसानों के बाद कोयला मजदूरों को देश की रीढ़ माना जाता है. किसान 140 करोड़ की आबादी की भूख मिटाता है, तो कोल मजदूर देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है. किसी भी विकसित देश के लिए 24 घंटे बिजली की जरूरत होती है. लेकिन भारत सरकार व कोल इंडिया ने कोयला उत्पादन का जो तरीका अपनाया है, वह आत्मघाती है. बिना दूरगामी सोच के मुनाफे के लिए अंधाधुंध कोयले का उत्पादन किया जा रहा है. उक्त बातें अखिल भारतीय खान मजदूर संघ के प्रमुख सह जेबीसीसीआई सदस्य के लक्ष्मा रेड्डी ने शनिवार को पिपरवार ऑफिसर्स क्लब में सीसीएल कोलियरी कर्मचारी संघ की कार्यकर्ता बैठक में कही. श्री रेड्डी ने कहा प्रदूषण रहित भूमिगत खानों को बंद कर खुली खदानों से कोयला उत्पादन किया जा रहा है. मुनाफा की लालच में सरकार आउटसोर्सिंग, एमडीओ आदि मोड से कोयला निकाल रही है. अब विभागीय उत्पादन 20 प्रतिशत और आउटसोर्सिंग से 80 प्रतिशत कोयला उत्पादन हो रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि अंधाधुंध उत्पादन के चक्कर में सुरक्षा मानकों को भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है. वहीं, असंगठित मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी से भी कम वेतन पर बिना चिकित्सा, शिक्षा, आवास, पीएफ व पेंशन की सुविधा दिये उनसे 10-12 घंटे काम लिया जा रहा है. जेबीसीसीआई सदस्य ने कहा कि यह स्थिति कोयला मजदूर, कंपनी व सरकार के लिए काफी घातक है. उन्होंने इसके लिए लंबी लड़ाई की जरूरत बतायी. कहा कि अब मजदूरों पर ही अपना और कोल इंडिया के अस्तित्व बचाने का दायित्व आ गया है. श्री रेड्डी ने नौ जुलाई की हड़ताल को अनावश्यक बताते हुए मजदूरों को लंबी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया. उन्होंने बताया कि इस संबंध में 23 जुलाई से 17 सितंबर तक भारतीय मजदूर संघ जागरूकता अभियान चलायेगा. इसके बाद आंदोलन की रणनीति तय की जायेगी. इससे पूर्व स्वागत भाषण एबीकेएमएस के अध्यक्ष एसके चौधरी ने किया. अध्यक्षता सीसीएल सीकेएस के अध्यक्ष निर्गुण महतो ने की व संचालन महामंत्री शशि भूषण सिंह ने किया. मौके पर पिपरवार, एनके, राजहारा, मगध-संघमित्रा व आम्रपाली-चंद्रगुप्त क्षेत्र के यूनियन कार्यकर्ता शामिल थे.
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