रांची. झारखंड जैव विविधता पर्षद ने विश्व वानिकी दिवस पर शुक्रवार को कार्यशाला का आयोजन डोरंडा के पलाश भवन में किया. इसमें पर्षद के सदस्य सचिव संजीव कुमार ने कहा कि वानिकी में उपलब्ध जैव विविधता से अपना जीवनयापन किया जा सकता है. इसमें पर्षद से सहयोग भी मिल सकता है. तसर, लाह, बांस और जड़ी बूटी के क्षेत्र से जीवकोपार्जन के साधन विकसित हो सकते हैं. सारंडा में उपलब्ध तसर विश्व का सबसे बड़ा स्रोत है और वहां की आदिवासी महिलाएं इसकी खेती कर लाखों रुपये कमा रही हैं.
संबंधित खबर
और खबरें