KANPUR NEWS: कानपुर के कल्याणपुर इलाके में बुधवार सुबह ऐसा हादसा हुआ जिसने न सिर्फ दो मासूम जिंदगियों को निगल लिया, बल्कि समाज की संवेदनहीनता की भी शर्मनाक तस्वीर पेश की. एक स्कूटी पर सवार नर्सिंग की छात्रा और उसका 15 वर्षीय भाई हादसे के बाद करीब 45 मिनट तक सड़क पर तड़पते रहे, लेकिन किसी भी राहगीर ने उन्हें अस्पताल पहुंचाने की कोशिश नहीं की. कुछ लोग तो मोबाइल निकालकर वीडियो बनाने लगे, लेकिन किसी ने इंसानियत का हाथ नहीं बढ़ाया.
तेज रफ्तार लोडर ने छीना परिवार का सहारा
मसवानपुर निवासी साइकिल व्यापारी मोहम्मद शकील की बड़ी बेटी अलशिफा (19) बिल्हौर के आरौल स्थित एक निजी कॉलेज में बीएससी नर्सिंग की छात्रा थी. बुधवार को उसकी परीक्षा थी. सुबह 5:05 बजे वह अपने छोटे भाई तौहिद (15) के साथ स्कूटी से कल्याणपुर स्टेशन के लिए निकली, ताकि वह वहां से सुबह 5:20 बजे की ट्रेन पकड़ सके. स्कूटी अलशिफा चला रही थी.
करीब 10 मिनट बाद जैसे ही दोनों केस्को सब स्टेशन के पास पहुंचे, एक तेज रफ्तार लोडर ने गलत दिशा से आकर उनकी स्कूटी को जोरदार टक्कर मार दी. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि दोनों भाई-बहन उछलकर सड़क पर जा गिरे और गंभीर रूप से घायल हो गए.
तमाशबीन बना समाज, मदद करने वाला कोई नहीं
हादसे के बाद दोनों सड़क पर दर्द से कराहते रहे. खून में लथपथ बहन और भाई तड़पते रहे, लेकिन वहां मौजूद लोगों ने उन्हें अस्पताल ले जाना तो दूर, एंबुलेंस या पुलिस को सूचना देना भी जरूरी नहीं समझा. कुछ लोगों ने अपने मोबाइल से वीडियो बनाना शुरू कर दिया शायद सोशल मीडिया पर डालने के लिए. वहां से गुजर रहे सुबह की सैर पर निकले लोग, स्थानीय निवासी कोई भी इंसानियत नहीं दिखा सका.
100 कदम दूर नर्सिंग होम, फिर भी नहीं दिखाई इंसानियत
हादसे की जगह से महज 100 कदम की दूरी पर दो निजी नर्सिंग होम हैं, लेकिन वहां तक भी किसी ने घायलों को ले जाने की जहमत नहीं उठाई. कल्याणपुर आवास विकास, केशवपुरम और सत्यम विहार जैसे घनी आबादी वाले इलाके होने के बावजूद कोई मदद के लिए आगे नहीं आया.
मदद न मिलने से गई दो जिंदगियां
करीब 40 मिनट तक तड़पने के बाद सुबह 5:45 बजे पुलिस और 5:55 बजे एंबुलेंस मौके पर पहुंची. दोनों को जब तक अस्पताल लाया गया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. सुबह 6:10 बजे उन्हें कल्याणपुर सीएचसी ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और परिजनों को सूचना दी.
“अब अप्पी किसे कहेंगे…” छोटी बहन की चीख से कांप उठा मोहल्ला
जब दोपहर करीब 1 बजे अलशिफा और तौहिद के शव मसवानपुर स्थित घर पहुंचे, तो पूरा मोहल्ला मातम में डूब गया. मां खुशनुमा बानो, बहनें कशिश, एलिस और मंतशा बेसुध थीं. छोटी बहन कशिश तो अलशिफा के शव से लिपटकर बिलख उठी “अब अप्पी किसे कहेंगे…” उसकी चीख सुनकर हर आंख नम हो गई. मोहल्ले की महिलाएं भी इस दर्दनाक दृश्य को देखकर रो पड़ीं.
बेटी के सपनों के साथ उजड़ गया घर
पिता मोहम्मद शकील ने बताया कि दो दिन पहले वह अपनी बेटी को परीक्षा के लिए राजस्थान के फतेहपुर लेकर गए थे. पेपर देने के बाद मंगलवार देर रात करीब दो बजे वे घर लौटे. अलशिफा ने कुछ घंटे ही आराम किया और सुबह परीक्षा के लिए फिर निकल गई थी. किसे पता था कि यह उसका आखिरी सफर होगा. उनकी बेटी का सपना था कि वह नर्स बनकर अपने परिवार का नाम रोशन करे लेकिन समाज की बेरुखी ने उसकी तमन्ना अधूरी छोड़ दी.
कड़ी कार्रवाई की मांग
एसीपी कल्याणपुर अभिषेक पांडेय ने बताया कि पीड़ित पक्ष की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल फरार लोडर चालक की तलाश की जा रही है.
यह हादसा सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि पूरे समाज के जमीर को झकझोरने वाला सच है. क्या हम इतने संवेदनहीन हो चुके हैं कि तड़पते हुए किसी की मदद भी नहीं कर सकते? अगर समय पर मदद मिलती, तो शायद दो मासूम जिंदगियों को बचाया जा सकता था.
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