आधा यूपी नहीं जानता, 200 साल पुराना सबसे बड़ा सरकारी हॉस्पिटल, जो प्रदेश की बन गई पहचान

UP Largest Government Hospital: उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) है. यह एशिया के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में शामिल है. यहां रोजाना हजारों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं और गंभीर बीमारियों का विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा इलाज किया जाता है.

By Shashank Baranwal | July 5, 2025 10:38 AM
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UP Largest Government Hospital: उत्तर प्रदेश देश का सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है, जहां करीब 20 करोड़ लोग रहते हैं. इतनी बड़ी जनसंख्या वाले प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का मजबूत होना बेहद जरूरी है. इसी वजह से यूपी में कई बड़े सरकारी अस्पताल संचालित हैं, जो मरीजों को इलाज की सुविधा देते हैं. ऐसे में क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल कौन सा है? अगर नहीं पता, तो इस आर्टिकल में आपको यूपी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के बारे में बता रहे हैं, जहां हर दिन हजारों की संख्या में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. यह अस्पताल न सिर्फ यूपी बल्कि पूरे देश में अपनी चिकित्सा सुविधाओं के लिए जाना जाता है.

10 हजार से ज्यादा मरीजों का हो रहा इलाज

उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) है, जो राजधानी लखनऊ में स्थित है. यह अस्पताल न केवल राज्य बल्कि एशिया के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थानों में गिना जाता है. यहां रोजाना इलाज के लिए करीब 10 हजार से ज्यादा मरीज पहुंचते हैं. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं, अनुभवी डॉक्टर और विभिन्न विभाग मौजूद हैं, जहां गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाता है. बड़ी संख्या में मरीजों के पहुंचने के बावजूद अस्पताल में इलाज की गुणवत्ता को बनाए रखने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं.

विशेषज्ञ डॉक्टरों से किया जा रहा इलाज

प्रदेशभर से लोग यहां इलाज के लिए आते हैं. कैंसर, हृदय रोग, न्यूरोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स सहित कई गंभीर बीमारियों का यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा इलाज किया जाता है. यही वजह है कि KGMU प्रदेश का सबसे बड़ा और विश्वसनीय सरकारी अस्पताल माना जाता है.

1857 में पड़ी अस्पताल की नींव

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) न केवल राज्य का सबसे बड़ा बल्कि एशिया के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में से एक है. इसकी नींव साल 1817 में उस समय पड़ी, जब महाराजा विजय नागरन ने प्रदेशवासियों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के उद्देश्य से 3 लाख रुपये का दान दिया था.

1911 में निकला पहला MBBS बैच

साल 1905 में प्रिंस ऑफ वेल्स ने इस संस्थान की मेडिकल कॉलेज के रूप में शुरुआत की थी. यहां से पहला एमबीबीएस बैच साल 1911 में निकला, जिसमें कुल 31 छात्र शामिल थे. उस समय KGMU, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध था, जिसे बाद में लखनऊ विश्वविद्यालय से जोड़ दिया गया.

232 बेड से शुरू हुआ अस्पताल

शुरुआत में अस्पताल में कुल 232 बेड थे, लेकिन समय के साथ सुविधाओं में बड़ा विस्तार हुआ. वर्तमान में यहां 4000 से अधिक बेड की व्यवस्था है. रोजाना ओपीडी में 5 हजार से ज्यादा मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं.

2002 में मिला यूनिवर्सिटी का दर्जा

साल 1956 में कॉलेज में पैथोलॉजी समेत अन्य आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं जोड़ी गईं. वहीं, 2002 में इस प्रतिष्ठित संस्थान को यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया. तब से लेकर आज तक KGMU प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर के मरीजों की पहली पसंद बना हुआ है.

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